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भारत का संविधान


भाग १८—आपात-उपबन्ध—अनु॰ ३६०

(२) अनुच्छेद ३५२ के खंड (२) के उपबन्ध इस अनुच्छेद के अधीन निकाली गयी उद्घोषणा के सम्बन्ध में वैसे ही लागू होंगे जैसे कि अनुच्छेद ३५२ के अधीन निकाली गयी आपात की उद्घोषणा के लिये लागू होते हैं।

(३) उस कालावधि में, जिसमें कि खंड (१) में वर्णित कोई उद्घोषणा प्रवर्तन में रहती है संघ की कार्यपालिका शक्ति किसी राज्य को वित्तीय औचित्य सम्बन्धी ऐसे सिद्धान्तों का पालन करने के लिये निदेश देने तक, जैसे कि निदेशों में उल्लिखित हों, तथा ऐसे अन्य निदेश देने तक, जिन्हें राष्ट्रपति उस प्रयोजन के लिये देना आवश्यक और समुचित समझे, विस्तृत होगी।

(४) इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी—

(क) ऐसे किसी निदेश के अन्तर्गत—
(१) राज्य के कार्यों के सम्बन्ध में सेवा करने वाले व्यक्तियों के सब या किन्हीं वर्गों के वेतनों और भत्तों में कमी की अपेक्षा करने वाले उपबन्ध,
(२) धन-विधयकों अथवा अन्य विधयकों को जिन को अनुच्छेद २०७ के उपबन्ध लागू है, राज्य के विधानमंडल के द्वारा उन के पारित किये जाने के पश्चात् राष्ट्रपति के विचार के लिये रक्षित करने के लिये उपबन्ध, भी हो सकेंगे;
(ख) उस कालावधि में, जिस में कि इस अनुच्छेद के अधीन निकाली गयी उद्घोषणा प्रवर्तन में है, उच्चतमन्यायालय और उच्चन्यायालयों के न्यायाधीशों के सहित संघ के कार्यों के सम्बन्ध में सेवा करने वाले व्यक्तियों के सब या किसी वर्ग के वेतनों और भत्तों में कमी के लिये निदेश निकालने के लिये राष्ट्रपति सक्षम होगा।