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भारत का संविधान

 

भाग १६—कतिपय वर्गों से सम्बद्ध विशेष उपबन्ध—
अनु॰ ३३८—३४०

(३) इस अनुच्छेद में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के प्रति निर्देश के अन्तर्गत ऐसे अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति निर्देश, जिन को कि राष्ट्रपति इस संविधान के अनुच्छेद ३४० के खंड (१) के अधीन नियुक्त आयोग के प्रतिवेदन की प्राप्ति पर आदेश द्वारा उल्लिखित करे, तथा आंग्ल-भारतीय समाज के प्रति निर्देश भी हैं।

अनुसूचित क्षेत्रों के
प्रशासन पर तथा
अनुसूचित आदिम-
जातियों के कल्याणार्थ
संघ का नियंत्रण
[१]३३९. (१) [२]* * * राज्यों में के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और अनुसूचित आदिमजातियों के कल्याण के बारे में प्रतिवेदन देने के लिये आयोग की नियुक्ति आदेश द्वारा राष्ट्रपति किसी समय कर सकेगा तथा इस संविधान के प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति पर करेगा।

आयोग की रचना, शक्तियों और प्रक्रिया की परिभाषा आदेश में की जा सकेगी तथा उस में वे प्रासंगिक और सहायक उपबन्ध भी हो सकेंगे जिन्हें राष्ट्रपति आवश्यक या वांछनीय समझे।

(२) संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार [३][किसी राज्य] को उस प्रकार के निदेश देने तक होगा जो उस राज्य की अनुसूचित आदिमजातियों के कल्याण के लिये निर्देश में परमावश्यक बताई हुई योजनाओं के बनाने और कार्यान्वित करने से सम्बन्ध रखते हों।

पिछड़े हुए वर्गों
की दशाओं के
अनुसंधान के लिये
आयोग की नियुक्ति
३४०. (१) भारत राज्य-क्षेत्र में सामाजिक और शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुये वर्गों की दशाओं के तथा जिन कठिनाइयों को वे झेल रहे हैं उन के अनुसंधान के लिये तथा संघ या किसी राज्य द्वारा उन कठिनाइयों को दूर करने और उनकी दशा को सुधारने के लिये करने योग्य उपायों के बारे में, तथा उस प्रयोजन के लिये संघ या किसी राज्य द्वारा जो अनुदान दिये जाने चाहियें तथा जिन शर्तों के अधीन वे अनुदान दिये जाने चाहियें उन के बारे में, सिपारिश करने के लिये राष्ट्रपति, आदेश द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को मिला कर, जैसे वह उचित समझे, आयोग बना सकेगा तथा आयोग नियुक्त करने वाले आदेश में आयोग द्वारा अनुसरणीय प्रक्रिया भी परिभाषित होगी।

(२) इस प्रकार नियुक्त आयोग अपने को सौंपे हुए विषयों का अनुसन्धान करेगा और राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा, जिस में पाये गये तथ्यों का समावेश होगा तथा जिस में ऐसी सिपारिशें की जायेंगी जिन्हें आयोग उचित समझे।

(३) राष्ट्रपति, इस प्रकार दिये गये प्रतिवेदन की एक प्रतिलिपि, उस पर की गई कार्यवाही के संक्षिप्त ज्ञापन सहित, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा।


  1. अनुच्छेद ३३९ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू न होगा।
  2. "प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में उल्लिखित " शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  3. उपरोक्त के ही द्वारा "ऐसे किसी राज्य" के स्थान पर रखे गये।