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भारत का संविधान

भाग १४—संघ और राज्यों के अधीन सेवाएं
अनु० ३१४–३१६

कतिपय सेवाओं के
वर्तमान पदाधिका-
रियों के संरक्षण के
लिये उपबन्ध
३१४. इस संविधान द्वारा स्पष्टता पूर्वक उपबन्धित अवस्था को छोड कर प्रत्येक व्यक्ति को, जो सेक्रेटरी आफ स्टेट या सेक्रेटरी आफ स्टेट इन कौंसिल द्वारा भारत में सम्राट की किमीसी असैनिक सेवा में नियुक्त होने के पश्चात इस संविधान के प्रारंभ पर और पश्चात भारत की या किमी राज्य की सरकार के अधीन सेवा में बना रहता है, भारत सरकार या राज्य की सरकार से, जिस की सेवा वह समय समय पर करता रहता है, पारिश्रमिक छुट्टी और निवृत्ति-वेतन के बारे में उन्हीं सेवा-शर्तों का, तथा अनुशासनीय विषयों के बारे में उन्हीं अधिकारों का अथवा उन के तुल्य ऐसे अधिकारों का, जैसा कि परिवर्तित परिस्थितियों में संभव हों, हक्क होगा जिन का कि उस व्यक्ति को ऐसे प्रारंभ मे ठीक पहिले हक्क था।

अध्याय २—लोक सेवा-पायोग

संघ और राज्यों के
लिये लोकसेवा-
आयोग
३१५. (१) इस अनुच्छेद के उपबन्धों के अधीन रहते हुए संघ के लिये एक लोकसेवा-आयोग तथा प्रत्येक राज्य के लिये एक लोकसेवा-आयोग होगा।

(२) दो या अधिक राज्य यह करार कर सकेंगे कि राज्यों के उस समूह के लिए एक ही लोकसेवा-आयोग होगा तथा यदि उस उद्देश्य का संकल्प उन राज्यों में से प्रत्येक के विधानमंडल के सदन द्वारा अथवा जहां दो सदन हैं वहां प्रत्येक सदन द्वारा पारित कर दिया जाता है तो संसद् उन राज्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये विधि द्वारा संयुक्त राज्य लोकसेवा-पायोग (जो इस अध्याय में "संयुक्त आयोग" के नाम से निर्दिष्ट है) की नियुक्ति का उपबन्ध कर सकेगी।

(३) उपरोक्त विधि में ऐसे प्रासंगिक तथा आनुपंगिक उपबन्ध भी अन्तर्विष्ट हो सकेंगे जैसे कि उस विधि के प्रयोजनों को सिद्ध करने के लिये आवश्यक या वांछनीय हों।

(४) यदि किसी राज्य का राज्यपाल []*** संघ के लोकसेवा आयोग से ऐसा करने की प्रार्थना करे तो, राष्ट्रपति के अनुमोदन से, वह उस राज्य की सब या किन्हीं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कार्य करना स्वीकार कर सकेगा।

(५) यदि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो तो इस संविधान में संघ के लोक सेवा-पायोग अथवा किसी राज्य के लोकसेवा-आयोग के निर्देशों को ऐसे आयोग के प्रति निर्देश समझा जायेगा जो प्रश्नास्पद किसी विशेष विषय के बारे में यथास्थिति संघ की अथवा राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करता हो।

सदस्यों की नियुक्ति
तथा पदावधि
३१६. (१) लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, यदि वह संघ-आयोग या संयुक्त आयोग है तो, राष्ट्रपति द्वारा तथा यदि वह राज्य-आयोग है तो, राज्य के राज्यपाल []*** द्वारा की जायेगी:

परन्तु प्रत्येक लोकसेवा-आयोग के सदस्यों में से यथाशक्य निकटतम आधे ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी अपनी नियुक्तियों की तारीख पर भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष तक पद धारण कर चुके हैं तथा उक्त दस वर्ष की कालावधि की संगणना में ऐसी कालावधि भी सम्मिलित होगी, जिस में इस संविधान के प्रारम्भ से पूर्व किसी व्यक्ति ने भारत के सम्राट् के अधीन या देशी राज्य के अधीन पद धारण किया है।