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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ १८१—१८४

जब उसके पद से
हटाने का संकल्प
विचाराधीन हो
तब अध्यक्ष या
उपाध्यक्ष सभा
की बैठकों में
पीठासीन न होगा
१८१. (१) विधान-सभा की किसी बैठक में, जब अध्यक्ष को अपने पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन हो तब अध्यक्ष, अथवा जब उपाध्यक्ष को अपने पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन हो तब उपाध्यक्ष, उपस्थित रहने पर भी पीठासीन न होगा, तथा अनुच्छेद १८० के खंड (२) के उपबन्ध उसी रूप में ऐसी प्रत्येक बैठक के सम्बन्ध में लागू होंगे जिसमें कि वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे कि यथास्थिति अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अनपस्थित है।

(२) जब कि अध्यक्ष को अपने पद से हटाने का कोई संकल्प विधान-सभा में विचाराधीन हो तब उस को सभा में बोलने तथा दूसरे प्रकार से उस की कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार होगा तथा, अनुच्छेद १८९ में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे संकल्प पर, अथवा ऐसी कार्यवाहियों में किसी अन्य विषय पर प्रथमतः ही मत देने का हक्क होगा किन्तु मत साम्य होने की दशा में न होगा।

विधान-परिषद् के
सभापति और
उपसभापति
१८२. प्रत्येक राज्य की विधान-परिषद्, जहां ऐसी परिषद् हो, यथासम्भव शीघ्र, अपने दो सदस्यों को क्रमशः अपना सभापति और उपसभापति चुनेगी तथा जब जब सभापति या उपसभापति का पद रिक्त हो तब तब परिषद् किसी अन्य सदस्य को यथास्थिति सभापति या उपसभापति चुनेगी।

सभापति और
उपसभापति की
पद रिक्तता,
पदत्याग तथा पद
से हटाया जाना
१८३. विधान-परिषद् के सभापति या उपसभापति के रूप में पद धारण करने वाला सदस्य—

(क) यदि परिषद् का सदस्य नहीं रहता तो अपना पद रिक्त कर देगा;
(ख) किसी समय भी अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा, जो उपसभापति को सम्बोधित होगा यदि वह सदस्य सभापति है तथा सभापति को सम्बोधित होगा यदि वह सदस्य उपसभापति है, अपना पद त्याग सकेगा; तथा
(ग) परिषद् के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित परिषद् के संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा;

परन्तु खंड (ग) के प्रयोजन के लिये कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित न किया जायेगा जब तक कि उस संकल्प के प्रस्तावित करने के अभिप्राय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दी गई हो।

उपसभापति या
अन्य व्यक्ति की
सभापति-पद के
कर्तव्यों के पालन
करने की अथवा
सभापति के रूप में
कार्य करने की शक्ति
१८४. (१) जब कि सभापति का पद रिक्त हो तब उपसभापति अथवा यदि उपसभापति का भी पद रिक्त हो तो, विधान-परिषद् का ऐसा सदस्य, जिसे राज्यपाल उस प्रयोजन के लिये नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।

(२) विधान-परिषद् की किसी बैठक से सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति अथवा, यदि वह भी अनुपस्थित है तो, ऐसा व्यक्ति, जो परिषद् की प्रक्रिया के नियमों से निर्धारित किया जाये, अथवा, यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो, ऐसा अन्य व्यक्ति जिसे परिषद् निर्धारित करे सभापति के रूप में कार्य करेगा।