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भारत का संविधान

 

भाग ६—राज्य—अनु॰ १६४–१६७

(३) किसी मंत्रि के अपने पद ग्रहण करने से पहिले राज्यपाल उस से, तृतीय अनुसूची में इस प्रयोजन के लिये दिये हुए प्रपत्रों के अनुसार, पद की और गोपनीयता की शपथें करायेगा।

(४) कोई मंत्री, जो निरन्तर छः मासों की किसी कालावधि तक राज्य के विधानमंडल का सदस्य न रहे उस कालावधि की समाप्ति पर मंत्री न रहेगा।

(५) मंत्रियों के वेतन तथा भत्ते ऐसे होंगे जैसे समय समय पर उस राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा निर्धारित करे तथा, जब तक उस राज्य का विधानमंडल इस प्रकार निर्धारित न करे तब तक, ऐसे होंगे जैसे कि द्वितीय अनुसूची में उल्लिखित हैं।

राज्य का महाधिवक्ता

राज्य का महाधिवक्ता १६५. (१) उच्चन्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने की अंर्हता रखने वाले व्यक्ति को प्रत्येक राज्य का राज्यपाल राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा।

(२) महाधिवक्ता का कर्त्तव्य होगा कि वह उस राज्य की सरकार को ऐसे विधि सम्बन्धी विषयों पर मंत्रणा दे तथा ऐसे विधि-रूप दूसरे कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल उसे, समय समय पर भेजे या सौंपें तथा उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसे इस संविधान अथवा अन्य किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के द्वारा या अधीन दिये गये हों।

(३) महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करेगा तथा राज्यपाल द्वारा निर्धारित पारिश्रमिक पायेगा।

सरकारी कार्य का संचालन

राज्य की सरकार
के कार्य का
संचालन
१६६. (१) किसी राज्य की सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राज्यपाल के नाम से की हुई कही जायेगी।

(२) राज्यपाल के नाम से दिये और निष्पादित आदेशों और अन्य लिखतों का प्रमाणीकरण उसी रीति से किया जायेगा जो राज्यपाल द्वारा बनाये जाने वाले नियमों में उल्लिखित हो तथा इस प्रकार प्रमाणीकृत आदेश या लिखित की मान्यता पर आपत्ति इस आधार पर न की जायेगी कि वह राज्यपाल द्वारा दिया या निष्पादित आदेश या लिखत नहीं है।

(३) राज्य की सरकार का कार्य अधिक सुविधा पूर्वक किये जाने के लिये तथा जहां तक वह कार्य ऐसा कार्य नहीं है जिस के विषय में इस संविधान के द्वारा या अधीन अपेक्षित है कि राज्यपाल स्वविवेक से कार्य करे वहां तक उक्त कार्य के बंटवारे के लिये राज्यपाल नियम बनायेगा।

१६७. प्रत्येक राज्य के मुख्य मंत्री का— राज्यपाल को जान-
कारी देने आदि
मंत्रीमुख्य के कर्त्तव्य

(क) राज्यकार्यों के शासन सम्बन्धी मंत्रि-परिषद् के समस्त विनिश्चय तथा विधान के लिये प्रस्थापनायें राज्यपाल को पहुंचाने का,
(ख) राज्य कार्यों के प्रशासन सम्बन्धी तथा विधान के लिये प्रस्थापनाओं सम्बन्धी जिस जानकारी को राज्यपाल मंगावे, उस को देने का, तथा