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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ १४९–१५१

(५) इस संविधान के तथा संसद्-निर्मित किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवा करने वाले व्यक्तियों की सेवा शर्ते तथा नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की प्रशासनीय शक्तियाँ ऐसी होंगी जैसी कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रपति नियमों द्वारा विहित करे।

(६) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के कार्यालय के प्रशासन-व्यय, जिनके अन्तर्गत उस कार्यालय में सेवा करने वाले व्यक्तियों को, या के बारे में, देय सब वेतन, भत्ते और निवृत्ति वेतन भी हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।

नियंत्रक महालेखा-
परीक्षक के कर्तव्य
और शक्तियां

[१]१४९. नियंत्रक-महालेखापरीक्षक संघ के और राज्यों के तथा अन्य प्राधिकारी या निकाय के, लेखाओं के सम्बन्ध में ऐसे कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जैसे कि संसद्-निर्मित विधि के द्वारा या अधीन विहित किये जायें तथा, जब तक उस बारे में इस प्रकार उपबन्ध नहीं किया जाता तब तक, संघ के और राज्यों के लेखाओं के सम्बन्ध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जैसी कि इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहले क्रमशः भारत डोमिनियन के और प्रान्तों के लेखाओं के सम्बन्ध में भारत के महालेखापरीक्षक को प्रदत्त थीं या के द्वारा प्रयोक्तव्य थीं।

लेखाओ के विषय
में निर्देश देने
की नियंत्रक-महा
लेखा परीक्षक की
शक्ति

[२]१५०. संघ के और राज्यों के लेखाओं को ऐसे रूप में रखा जायेगा जैसा कि लेखाओं के विषय भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, राष्ट्रपति के अनुमोदन से, विहित करे

 

लेखा परीक्षा प्रति-
वेदन
१५१. (१) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के संघलेखा सम्बन्धी प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष उपस्थित किया जायेगा जो उन को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवायेगा।

[३](२) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के राज्य के लेखा सम्बन्धी प्रतिवेदनों को राज्यपाल [४]* * * के समक्ष उपस्थित किया जायेगा जो उनको उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवायेगा।


  1. अनुच्छेद १४९ और १५० में राज्यों के प्रति निर्देशों का अर्थ ऐसे किया जाएगा मानो कि उनके अन्तर्गत जम्मू और कश्मीर राज्य नहीं है।
  2. अनुच्छेद १४९ और १५० में राज्यों के प्रति निर्देशों का अर्थ ऐसे किया जाएगा मानो कि उनके अन्तर्गत जम्मू और कश्मीर राज्य नहीं है।
  3. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद १५१ में खंड (२) लुप्त कर दिया जाएगा।
  4. "या राजप्रमुख" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६ धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।