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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ १३२–१३३

किन्हीं मामलों में
उच्चन्यायालयों
से अपील में
उच्चतमन्यायालय
का अपीलीय
क्षेत्राधिकार

१३२. (१) भारत राज्य क्षेत्र में के किसी उच्चन्यायालय के, चाहे तो व्यवहार विषयक चाहे दाण्डिक चाहे अन्य कार्यवाही में दिये निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम आदेश की अपील उच्चतमन्यायालय में हो सकेगी यदि वह उच्च न्यायालय प्रमाणित कर दे कि उस मामले में इस संविधान के निर्वचन का कोई सारवान विधि प्रश्न अन्तर्ग्रस्त है।

(२) जहाँ कि उच्चन्यायालय ने ऐसा प्रमाण-पत्र देना अस्वीकार कर दिया हो वहाँ, यदि उच्चतमन्यायालय का समाधान हो जाये कि उस मामले में इस संविधान के निर्वाचन का सारवान विधि प्रश्न अन्तर्ग्रस्त है तो, वह ऐसे निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम आदेश की अपील के लिये विशेष इजाजत दे सकेगा।

(३) जहाँ ऐसा प्रमाण पत्र अथवा ऐसी इजाजत दे दी गई हो वहाँ मामले में कोई पक्ष ऐसे किसी पूर्वोक्त प्रश्न के अशुद्ध निर्णय हो जाने के आधार पर, तथा उच्चतमन्यायालय की इजाजत से अन्य किसी आधार पर, उच्च-तमन्यायालय में अपील कर सकेगा।

व्याख्या.—इस अनुच्छेद के प्रयोजनार्थ "अन्तिम आदेश" पदावलि के अन्तर्गत ऐसे वाद-पद का विनिश्चयात्मक आदेश भी है जो, यदि अपीलार्थी के पक्ष में विनिश्चित हो तो, उस मामले के अन्तिम निबटारे के लिये पर्याप्त होगा।

उच्चन्यायालयों से
व्यवहार विषयों
के बारे की
अपीलों में उच्च-
तमन्यायालय का
अपीलीय क्षेत्राधिकार

१३३. (१) भारत राज्य क्षेत्र में के उच्चन्यायालय की व्यवहार कार्यवाही में के किसी निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम आदेश की अपील उच्च तमन्यायालय में होगी यदि उच्चन्यायालय प्रमाणित करे—

(क) कि विवाद-विषय की राशि या मूल्य प्रथम बार के न्यायालय में बीस हजार रुपये से या ऐसी अन्य राशि से, जो इस बारे में संसद् से विधि द्वारा उल्लिखित की जाये, कम न थी और अपीलगत विवाद में भी उससे कम नहीं है; अथवा
(ख) कि निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम आदेश में उतनी राशि या मूल्य की सम्पत्ति से सम्बद्ध कोई दावा या प्रश्न प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में अन्तर्ग्रस्त है; अथवा
(ग) कि मामला उच्चतमन्यायालय में अपील के लायक है;

तथा जहाँ कि अपीलकृत निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम प्रदेश उपखंड (ग) में निर्दिष्ट मामले से भिन्न किसी मामले में विनान्तर नीचे के न्यायालय के विनिश्चय की पुष्टि करता है वहां यदि उच्चन्यायालय यह भी प्रमाणित करे कि अपील में कोई सारवान्वि विधि-प्रश्न अन्तर्ग्रस्त है।

(२) अनुच्छेद १३२ में किसी बात के होते हुए भी खंड (१) के अधीन उच्चतमन्यायालय में अपील करने वाला कोई पक्ष ऐसी अपील के कारणों में यह कारण भी बता सकेगा कि इस संविधान के निर्वचन के सारवान विधि प्रश्न का अशुद्ध विनिश्चय किया गया है।

(३) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी उच्चन्यायालय के एक न्यायाधीश के निर्णय, आज्ञप्ति या अन्तिम आदेश की अपील उच्चतम न्यापालय में न होगी जब तक कि संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबन्धित न करे।