पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/३९५

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३८६ परिशिष्ट अ] बहुत जल्द भेजो नीलदेवी इसी दम चाहिए इक उसकी कापी॥ वहाँ पर कृष्ण खैरियत से पहुँचा । तुम इसका हाल भी चट हमको लिखना ।। कोई या माधवी के यो से श्राया । य भी दर्यापत कर इर्काम करना मँगाना चाहिए चन्द्रावली. कल । बिरज, बी०, दास के ह्याँ से मुबद्दल || हरिश्चन्द्र । १ . - ७-भारतेन्दु जी का राजा शिवप्रसाद को लिखा गया पत्र श्रीयुत राजा शिवप्रसाद साहद मी० एस० आई० को मैंने एक बेर एक रुक्का लिखा था। ( उन्होंने अपना फोटोग्राफ देने कहा था वह माँगने के हेतु) इसी शैर के मुताविक जवाब दीजिएगा। कमाल शौक मुलाकात उसने लिखा है। चलू' मैं पार ही कासिद जवाब के बदले ।। उन्होंने लिफाफे में अपना फोटोग्राफ रख दिया और मेरे रुक्के को यों काट दिया। इसी शैर के मुताबिक जबाब दीजिएगा, दिया है, उमाल शौके मुलाकात उसने लिखा है। चला मैं श्रार ही काक्षिद जवाब के बदले ।। १ लिखना।