पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/२०

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७ पूवज-गण जासूसों को निकालने का तथा किसी को फिर से न आने देने का सतत प्रयत्न किया था, पर सिराजुद्दौला के चर-विभाग के प्रधान राजाराम रामसिंह के भाई इस पत्र को लेकर व्यापारी के वेश में १४ अप्रैल को ही कलकत्ते पहुंच गए और अमीनचंद से मिलकर उन्हीं के साथ हॉलवेल से जाकर उन्होंने भेंट की। दूसरे दिन गवर्नर ड क तथा काउंसिल ने यही निश्चय करना उचित समझा कि राजाराम रामसिंह का भाई छद्मवेश में आकर पहले अमीनचंद के मकान पर ठहरा था, जिससे कंपनी से इस समय मनोमालिन्य है और उसी ने कंपनी पर पुनः प्रभुत्व जमाने के लिये यह कुटिल कौशल रचा है। ऐसा निश्चय कर उस पत्र तथा पत्रवाहक दोनों ही को अंग्रेजों ने अपमानपूर्वक नगर से बाहर निकाल दिया। एसा करने का कारण ऊपर लिखा जा चुका है, परन्तु जब अंग्रेजों ने देखा कि सिराजुद्दौला गौरव के साथ सिंहासनारूढ़ हो गया है, तब उन्होंने डर कर कासिमवाज़ार के अपने एजेन्ट मिस्टर वॉटस् को लिग्न भेजा कि यदि नवाब के दरवार में इस तिरस्कारपूर्ण व्यवहार की वजह से कोई बात उठे तो उसका अपने वकील द्वारा उन कारणों का वर्णन कर, जिसका उल्लेख किया जा चुका है, समाधान कर देंगे। इस कैफियत को सुनकर सिराजुद्दौला ने उसे अनसुनी कर दिया और उस विषय पर पुनः कुछ न लिखा। इंगलैंड और फ्रांस के बीच समरानल प्रज्वलित होने की आशंका से फोर्ट विलियम को बढ़ करने के लिए अंग्रेजों ने नई दीवाल बनानी प्रारम्भ कर दी, जिसका पता जासूसों से पाकर सिरानद्दौला ने, जो पूर्णियाँ की ओर शौकतजंग को दमन करने को ससैन्य अग्रसर हो रहा था, एक पत्र गवर्नर को लिखा, जिसमें उसने नई दीवाल बनाने की मनाही की थी। इसके उत्तर में डेक ने जो कुछ लिखा उससे अधिक क्रुद्ध होकर सिराजुद्दौला