पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/९३

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्न (७५) तग करके रुपया वसूल किया जाय, परन्तु भारतेन्दु जी ने कुछ न किया और कहा "चलो, बिचारा गरीब इसी से कमा खायगा"। कुछ करने की कौन कहे, उन्हें अपनी मुसाहिबी से भी नहीं निकाला। उक्त व्यक्ति एक दिन इतना बढा कि लखपती हो गया। कुछ दिनो पीछे जब द्रव्याभाव हो गया था और प्राय कष्ट उठाया करते थे उस अवस्था मे एक दिन बहुत से पत्र और पैकेट लिखकर रक्खे थे कि उनके एक मित्र के छोटे भाई (लाला जगदेवप्रसाद गौड) उनसे मिलने पाए। उन्होने पूछा "बाबू साहब ! ये सब पत्र डाक मे क्यो नहीं गए ?" उत्तर मिला "टिकट बिना" उक्त महाशय ने २) रु० का टिकट मँगाकर उन सभो को डाक मे छुडवाया। उस २) को भारतेन्दु महोदय ने उन्हें कम से कम दस बेर दिया। उक्त महाशय का कथन है कि "जब मै मिलने गया २) १० टिकट वाला मुझे दिया, मैंने लाख कहा कि मै कई बेर यह रुपया पा चुका हूँ, पर उन्होने एक न माना, कहा तुम भूल गए होगे, मैंने विशेष आग्रह किया तो बोले अच्छा, क्या हुआ, लडके तो हो, मिठाई ही खाना" । एक प्रालबम चित्रो का इन्होने अत्यन्त ही परिश्रम के साथ सग्रह किया था, जिसमे बादशाहो, विद्वानो, प्राचार्यों प्रादि के चित्र बडे व्यय और परिश्रम से सग्रह किए थे। एक शाहजादे महाशय उस प्रालबम की एक दिन बडी ही प्रशसा करने लगे। आपने कहा कि "जो यह इतना पसन्द है तो नजर है"। बस फिर क्या था, उक्त महोदय ने उठकर लम्बी सलाम की और लेकर चलते बने। उदार-हृदय हरिश्चन्द्र को कभी किसी पदार्थ को देकर दुख होते किसी ने नहीं देखा, परन्तु इस प्रालबम का उन्हें दुख हुआ। पीछे वह इसका मूल्य ५००) रु० तक देकर लेना चाहते थे, परन्तु न मिला। एक दिन आप कहीं से एक गजरा फूलो का पहिने आ रहे थे। एक चौराहे पर उसे लपेटकर रख दिया। जो नौकर साथ मे था उसे कुछ सन्देह हुना। वह इन्हें पहुंचा- कर फिर उसी चौराहे पर लौट आया, तो उस गजरे को ज्यो का त्यो पाया। उठाकर देखा तो उसमे पाँच रुपए लपेट कर रक्खे हुए थे। एक दिन जाडे की ऋतु मे रात को श्राप पा रहे थे, एक दीन दुखी सडक के किनारे पडा ठिठुर रहा था, दयाचित्त हरिश्चन्द्र से यह उसका दुख न देखा गया, बहुमूल्य दुशाला जो श्राप प्रोढ़े हुए थे उस पर डाल चुप चाप चले आए। ऐसा कई बार हुआ है । एक दिन मोतियो का कठा पहिनकर गोस्वामी श्री जीवनजी महाराज (मुम्बई वाले) के दर्शन को गए। महाराज ने कहा "बाबू ! कठा तो बहुत ही सुन्दर है"। आपने चट उसे भेट कर दिया। कितने व्यक्तियो को हजारो रुपए के फोटोग्राफ उतारने