पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/२७

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(८) भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र गद्दी पर बैठे उस समय अग्रेज लोग अमीचन्द का उतना विश्वास नहीं करते थे। इन दोनो के मन मे जो मैल आ गई थी वह धीरे धीरे बहुत ही दृढ़ हो गई। उस समय इस देश के लोगो की प्रकृति ऐसी सरल थी कि वे अग्रेजो का अध्यवसाय, अकुतोभयता और विद्या बुद्धि देख कर बेखटके विश्वास करके उनके पक्षपाती हो गए थे। इसी से अंग्रेजो का रास्ता इस देश मे सुगम हो गया था। अग्रेजो के उद्धतपने से चिढकर नवाब सिराजुद्दौला ने यद्यपि यह निश्चय कर लिया था कि एक न एक दिन इन को दबाने का उपाय करना होगा, परन्तु एक बेर और दूत भेज कर समझाना उचित जान कर चर देश के राजा रायरामसिंह पर दूत भेजने का भार दिया। अग्रेज लोग नवाब से ऐसे सशडित थे कि इनका कोई मनुष्य कलकत्ता में घुसने नहीं पाता था, इस लिये रायरामसिंह ने अपने भाई को फेरी वाले के छमवेष मे एक डोगी पर बैठा कर कलकत्ता भेजा । वह सेठ अमीचन्द के यहाँ ठहरे और उन्हीं के द्वारा अग्रेजो के पास नवाब का सदेसा लेकर उपस्थित हुए, पर अग्रेजो ने उनकी कुछ बात न मानकर बडे अनादर से निकाल दिया। यद्यपि बाहरी बनाव सेठ अमीचन्द का अग्रेजो से था, परन्तु भीतर से अग्रेज लोग इन से बहुत ही चिढ़े हुए थे। इस घटना के विषय मे उन लोगो ने लिखा है कि "एक राज दूत पाया तो था पर वह नवाब सिराजुद्दौला का भेजा दूत है यह हम लोग कैसे समझ सकते थे? वह एक साधारण फेरी वाले के छप्रवेष मे पाकर हम लोगो के सदा के शनु अमीचन्द के यहाँ क्यों ठहरा था। प्रमीचन्द के साथ हम लोगो का झगड़ा था इससे हम लोगो ने समझा था कि अपनी बात बढाने के लिये ही इन्हो ने यह कौशल जाल फैलाया है, इसी लिये राजदूत की उपेक्षा की गई थी, जो कहीं तनिक भी हम लोग जानते कि स्वय नवाब सिराजुद्दौला ने दूत भेजा है तो हम लोग क्या पागल थे कि उसका ऐसा अपमान करते ?" निदान अग्रेज लोग हर एक बात मे सब दोष इन पर डाल कर अपने बचाव का रास्ता निकाल लेते थे, परन्तु वास्तविक बात और ही थी, यदि उन्हें यह निश्चय था कि यह कौशल जाल अमीचन्द का है तो कासिम बाजार मे वाट्स साहब को क्यो लिखते कि वहाँ सावधान रहैं और देखे कि दूत को निकाल देने का क्या फल नवाब बर्वार में होता है 1 The Governor returning next day summoned a coun