पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/२०

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र पिता और पूर्व पुरुष रमेश्वर नास्तिको का मुह बन्द करने और अपना अस्तित्व प्रमाणित करने ही के लिये कभी कभी पृथ्वी पर ऐसे लोगो को जन्माता है जिनकी अद्भुत प्रतिभा देखकर लोग पाश्चय मे पा जाते है। हमारे चरित्रनायक भी वैसे ही एक पुरुषरत्न थे कि जिनके चरित्र मे ईश्वर की ईश्वरता का साक्षात प्रमाण मिलता है। ऐसे लोगो के जीवनचरित्र को पढने से लोग बहुत कुछ लाम उठा सकते है, क्योकि उनका चरित्र लोगो को एक अच्छा रास्ता दिखलाता और ससार मे यश कमाने का अच्छा उपदेश देता है। जगत् प्रसिद्ध कविश्रेष्ठ गिरिधरदास, प्रसिद्ध नाम बाबू गोपालचन्द्र, का जन्म काशी मे मिती पौष कृष्ण १५ स० १८६० को हुआ था और मृत्यु मिती वैशाख सु०७ स० १९१७ को। उन्होने इस २६ वर्ष ४ महीने और ७ दिन की ऐसी छोटी अवस्था मे कितने बड़े काम किए हैं यह देख कर पाश्चय होता है। हिन्दुस्तान में जिस अवस्था मे धनवानो के लडको को पूरी तरह पर बात करने का भी ज्ञान नहीं होता और जिस भयानक अवस्था के वणन मे उचित रूप से कहा गया है कि-- "यौवन धन सम्पत्ति प्रभुत्वमविवेकता। एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ॥" उस अवस्था मे इस प्रान्त के प्रसिद्ध सेठ हर्षचन्द्र के एकमात्र पुत्र गोपालचन्द्र