पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६८

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१३६ कलश ४२०७।२७ 0 १०८० १०५४ 010/२३ १३८ उत्कर्ष और ४२०७।३ 0 १०८८ १०६२ १०।४।२ हर्ष* मुसल्मानों का गुलशन । विल्हण ने अपने विक्रमांक चरित में इस की बड़ी स्तुति लिखी है। इसकी माता का नाम सुभटा और मामा का नाम लोहराखण्डल क्षितपति था । ये लोग वैष्णव उदार और पंडित थे। बिल्हण ने इन का एक भाई विजयमल्ल नामक और लिखा है । सोमदेव ने वृहत्कथा इसी के समय में बनाई । और लेखकों के मत से इस ने १२ वर्ष राज्य किया था । चालुक्य वंश में एक विक्रम उस समय भी था । और लेखकों का मत है कि यह पिता पुत्र भाई सब एक काल में जुदा जुदा राज्य बाटकर करते थे। मुसल्मानों ने लिखा है कि १२०० मशालें नित्य इस की सभा में बलती थीं और बड़ा ही न्यायी था। हर्ष से राज्य पाया । नामांतर उद्दाम विक्रम वा उच्चल । मुसल्मानों का वाजिल । उच्चल को मार कर राज पर बैठा । नामांतर रड्ड । इस को उच्चल के भाई सुस्सल ने मार डाला । मुसल्मानों ने इसका नाम द्वैन लिखा है। इन राजाओं के समय में बड़ी लड़ाई हुई । मुसल्मानों ने इस का नाम असस और इसके भाई का नाम एजिल लिखा १३९ उदयन विक्रम* ४२१७७२ o ११०० १०६२ o भारतेन्दु समग्र ७२४ १४० शंखराज ४२१७।७२ o ११०० १०५२ ०॥१४२० १४१ सल्ह ४२१७।८।२२० १११० १००२10१६ १४२ सुसल्ह ११११ 01६० मल्लदेव का छोटा बेटा उच्चल का भाई।

१४३ भिक्षाचर १४३ जयसिहदेव ४२३३८२२० ४२३४।२।२२० ४२५६।२।२२० ११२७ ११२७ १०७२ १०८८ १०८८ २२ ५.६ मुसल्मानों का जैनक । मुसल्मानों ने इस के राज्य का अंत ५३५ हिजरी में लिखा है । राजतरंगिणी. बनी । शाके १०७० में यहाँ तक पूरा हिसाब करने से गत कलि ईसवी हिजरी संवत् शाका सब दश पंद्रह बरस के हेरफेर में ठीक हो जाते हैं।