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मातगुप्त ३२१८०३/११७।११ ४३०

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८५ प्रबरसेन ३२७८।३ १२३।०४३२१६१२२१२ ८६ युधिष्ठिर (२) ३३१७१३ १८६८ १८५२ PI८१३ विक्रमादित्य ने उग्जेन से भेजा। जाति का बाहमण था। इस विक्रमादित्य का नाम हर्ग था । उस काल में लोग ललाट में त्रिशूल की मुद्रा देते थे। किंतु कालिदास वाला विक्रम नहीं है। यह प्राचीन वंश का या । शिलादित्य नामक गुजरात के राजा से लड़ा । मुसलमानों के अनुसार पुरवाहन का बेटा था । श्रीनगर फिर से बसाया । मुसलमानों ने शिलादित्य को विक्रमादित्य का बेटा लिखा है मुसल्मान लेसकों में यहाँ बड़ा भेद है। वे लिखते है प्रवरसेन का बेटा चंद्रनी, उसने ७३ वर्ष ३ महीना राज्य किया, उसका बेटा साक्षमण, राज्यशाल ३ बरस उस का बेटा जयादित्य । इसी का नामातर कोई लक्ष्मण मानते है वा नंद्रावत । इस का राज्यकाल गंध में लीन सो वर्ष लिखने में अनुमान होता है कि इस पीके के कुछ राजाओं के नाम छुट गए है। बोभराव की बेटी व्याही । मुसलमानों ने लिया है कि महाभा महम्मद इसी के समय में उत्पन्न हुए थे और इस को राज्य करते जब २५८ वर्ष बीते थे तबवह मक्के में मदीने गए अति सन हिलरी आरम हुआ। ७ नरेंद्रादित्ल ८८ रणादित्य २३१७।११।१३/२०४।११ | ३६१७।११।१३ २१७।११ | ४८३ 89.0 २२४ २३७१५ ४२ काश्मीर कुसुम ७१९ ५३७ १९ विक्रमादित्य १० बालादित्य ६६५९।११।१३/५१७।११ ५५६।५ ३६९६।११।१३/५४९।११५७६ २३ ३६ गोनर्दवंश का अंतिम राना मुमरमानों का जमानद । मुसम्मान लेखकों ने लिखा है कि उपनास नामक एक बड़ा पडित इसके समय में हुत्रा । इस के पास पचास हजार यासे के पोई और नीन जाम सवार और रात को प्रकाश करने वाले लान थे। मुसामानों के अनुसार पहले इसका क्या बदानद फिर उसका भाईरवाजीत, फिर उस से खोटा अलतारित गयी पर पेठा। नामांतर प्रजादित्य । कर्कोटक वंश का । यदिर्जित (Yeadejerd) का समकालीन । ३७३२।११।१३/५९७१६ ५९४१६ ११ दुभिवर्धन ६२५५ YO

  • तथा रणादित्य के बीच के राजाओं के नाम नहीं मिलते है सबका सम्मिलित राज्यकाल तीन सौ वर्ष दिया है । (स.)