पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/६२१

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सत्य हरिश्चन्द्र विद्या सुंदर के सम्पादक) देव पुरुष हृदय 19 माधुरी १९२५ में बनारस थिएटर में बड़ी धूम धाम से यह प्रयाग समाचार पत्र सम्पादक) खेला गया था। रामायण से कथा निकाल कर यह होलीखगेश नाटक पंडित शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने बनाया था । इस चक्षुदान के पीछे प्रयाग और कानपुर के लोगों ने भी रणधीर पदमावती (पं. बालकृष्ण भट्ट प्रममोहिनी और सत्यहरिश्चन्द्र खेला था । पश्चिमोत्तर शर्मिष्ठा हिदीप्रदीप देश में ठीक नियम पर चलने वाला कोई आर्य सरोजिनी (पं. गणेशदत्त) शिष्टजन का नाटकसमाज नहीं है। सरोजिनी (राधाचरण गोस्वामी भारतेन्दु सम्पादक) अथ हिन्दी नाटक तालिका। मृच्छकटिक (पं. गदाधरभट्ट मालवीय, मच्छकटिक (पं. दामोदर शास्त्री) नहुषनाटक (श्रीगिरिधरदास) मृच्छकटिक (बाबू ठाकुरदयाल सिंह) शकुन्तला (राजालक्ष्मण सिंह) बारागना रहस्य (बाबू बदरीनारायन शकुन्तला (फ्रेडरिक पिकाट साहब) चौधरी, आनन्दकादम्बिनी के सम्पादक) मुद्राराक्षस (हरिश्चन्द्र) विज्ञान बिभाकर (पं. जानी बिहार लाल) ललिता नाटिका (प. अम्बिका दर) व्यास साहित्याचार्य, वैष्णव पत्रिका और पियूषप्रवाह अन्धेर नगरी विषस्य विषमौषधम सती प्रताप वेणीसंहार नाटक चन्द्रावली गोसकट जानकोमंगल (पं. शीतलाप्रसाद त्रिपाठी) पाखंड बिडम्बन दु:खिनीबाला (बाबू राधाकृष्णदास) नवमल्लिका पद्मावती दुल्लभबन्धु महारस (महाराजधिरज कुमार लाल प्रमेयोगिनी खंग बहादुरमल्ल युवराज जैसा काम वैसा परिणाम रामलीला ७ काड (पं. दामोदर शास्त्री, भारत दुर्दशा (हरिश्चन्द्र) बालखेल राधामाधव वैदिकी हिंसा वेनिस का सौदागर (बाबू बालेश्वर प्रसाद) बूढ़ेमुह मुंहासे लोग काशी पत्रिका सम्पादक) देखे तमाशे (बूडो शालिकेर बाबूगोकुल (बाबू ठाकुरदयाल सिंह) का अनुवाद । चन्द योरप मे नाटक का प्रचार अद्भुत चरित्र वा गृहचंडी (श्रीमती) योरप में नाटकों का प्रचार भारतवर्ष के पीछे हुआ है। तप्तासंवरण लाला श्रीनिवास दास) पहिले दो मनुष्यों के सम्बाद को ही वहाँ नाटकों का (लाला श्रीनिवास दास) सूत्रपात मानते हैं । प्राचीन ईसाई धर्मपुस्तक में 'बुक केटो कृतान्त (बाबू तोताराम भारत अव जाब' और सुलैमान के गीतों में ऐसे सम्बाद मिलते बंधु सम्पादक) है किन्तु इन के अतिरिक्त हिब्रू भाषा में और कोई सज्जाद सुम्बुल (बाबू केशोराम भट्ट प्राचीन नाटक का ग्रन्थ नहीं । योरप में सबसे प्राचीन बिहारबन्धु सम्पादक) नाटक यूनान में मिलते हैं और यह निश्चय अनुमान हुआ है कि भारतवर्ष से वहां यह विद्या गई होगी। जय नारसिंह की (पं देवकीनन्दन दिवारी, यूनान में एथेन्स प्रदेश में नाटकों का प्रचार विशेष था मझौली राज) नील देवी विद्यार्थी सम्पादक) भारत जननी धनंजय विजय रणधीर प्रेममोहिनी शमशाद सौसन नाटक ५७७