छेदश्चन्दनचूतचंपकवने रक्षा करीरद्रुमे
हिंसा हंसमयूरकोकिलकुले काकेषुलीलारतिः
मातंगेन खरक्रयः समतुला कर्पूरकार्पासियो: एषा
एषा यत्र विचारणा गुणिगणे देशाय तस्मै नमः
अंधेर नगरी प्रथम दृश्य सब–– राम भजो राम भजो राम भजो भाई। महन्त–– बच्चा नारायण दास! यह नगर तो दूर से बड़ा ही सुन्दर दिखलाई पड़ता है! देख, कुछ भिच्छा उच्छा मिलै तो ठाकुर जी को भोग लगै। और क्या। ना. दा.–– गुरु जी महाराज! नगर तो नारायण के आसरे से बहुत ही सुन्दर है जो है सो, पर भिक्षा सुन्दर मिलै तो काड़ा आनन्द होय। महन्त–– बच्चा गोबरधन दास! तू पश्चिम की ओर से जा और नारायण दास पूरब की ओर जाएगा। देख, जो कुछ सीधा सामग्री मिलै तो श्री शालग्राम जी का बालभोग सिद्ध हो। गो. दा.–– गुरु जी! मैं बहुत सी भिच्छा लाता हूँ। यहाँ लोग तो बड़े मालवर दिखलाई पड़ते हैं। आप कुछ चिन्ता मत कीजिए। महन्त–– बच्चा बहुत लोभ मत करणा। देखना, हाँ –– लोभ पाप को मूल है, लोभ मिटावत मान।
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(गाते हुए सब जाते हैं) कबाबवाला–– कबाब गरमागरम मसालेदार –– चौरासी मसाला बहत्तर आँच का –– कबाब गरमागरम मासालेदार –– खाय सो होंठ चाटै, न खाय सो जीभ काटै। कबाब लो, कबाब का ढेर –– बेच टके सेर। घासीराम–– चने जोर गरम –– चने बनावैं घासीराम। निज की झोली में दूकान॥ नारंगीवाली–– नरंगी ले नरंगी –– सिलहट की नरंगी, बुटवल की नरंगी, रामबाग की नरंगी, आनन्दबाग की नरंगी। भई नींबू से नरंगी। मैं तो पिय के रंग न रंगी। मैं तो भूली लेकर संगी। नरंगी ले नरंगी। कंवला नीबू, मीठा नीबू, रंगतरा, संगतरा। दोनों हाथों लो –– नहीं पीछे हाथ ही मलते रहोगे। नरंगी ले नरंगी। टके सेर नरंगी। हलवाई–– जलेबियां गरमा गरम। ले सेव इमरती लड्डू गुलाबजामुन खुरमा बुंदिया बरफी समोसा पेड़ा कचौड़ी दालमोट पकौड़ी घेवर गुपचुप। हलुआ हलुआ ले हलुआ मोहनभोग। मोयनदार कचौड़ी कचाका हलुआ नरम चभाका। घी में नरक चीनी में तरातर चासनी में चभाचभ। ले भूरे का लड्डू। जो खाय सो भी पछताय जो न खाय सो भी |
भारतेन्दु समग्र ५३०