पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/४५४

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दूसरा गांक लोगों से जय श्री कृष्ण होती है)। (परदा गिरता है) बा.- (रामचंद्र को अपने पास बैठाकर) कहिए इति मंदिरादर्श नामक प्रथम गभांक बाबू साहब आजकल तो आप मिलते ही नहीं क्या खबगी रहती है? रा.--भला आप ऐसे मित्र से कोई खफा हो दूसरे गर्भाक के पात्र सकता है ? यह आप कैसी बात कहते हैं ? बा. कार्तिक नहाना होता न है? दलाल गंगापुत्र तीर्थस्थ ब्राह्मण रा. (हँसकर) इसमें भी कोई सन्देह है! बा.-हहहँ फिर आप तो जो काम करेंगे एक भंडेरिया लिंगिया तजवीज के साथ ऐं। दकानदार (रामचन्द्र का हाथ पकड़ के हंसता है। सुधाकर रामचंद (नाटक के नायक) का रा.-भाई ये दोनों (धनदास और बनितादास मुसाहब को दिखा कर) बड़े दुष्ट हैं । मैं किवाड़ी के पीछे खड़ा भूरी सिंह बदमाश परदेसी सुनता था । घंटों से ये स्त्रियों ही की बात करते थे 1 बा.- यह भवसागर है । इसमें कोई कुछ बात करता है, को कुछ बात करता है । आप इन बातों का कहाँ तक ख्याल कीजिएगा ऐ ! कहिए कचहरी जाते हैं स्थान - गैबी, पेड़ कुंआ. पास बावली कि नहीं? (दलाल, गंगापुत्र, दूकानदार, भंडेरिया और भूरीसिंह रा.-जाते हैं कभी कभी-जी नहीं लगता, बैठे हैं। मुफ्त की बेगार और फिर हमारा हरिदास बाबू का साथ द.-कहो गहन यह कैसा बीता ? ठहरा भोग कुकुर झोझौं, हुज्जते-बंगाल माथा खाली कर डालते | बिलासी - हैं । खाँव खाँव करके, थूक थूक के, बीभत्स रस के माल वाल कुछ मिला, या हुआ कोरा सत्यानाशी? आलंबन, सूर्यनंदन - कोई चूतिया फंसा या नहीं ? कोरे रहे उपासी ? बा.- (हंसकर) उपमा आपने बहुत अच्छी दिया ग-मिले न काहे भैया, गंगा मैया दौलत दासी।। और कहिए और अंधरी मजिसटरों का क्या हाल है ? हम से पूत कपूत की दाता मनकनिका सुखरासी । रा.- हाल क्या है सब अपने अपने रंग में मस्त भूखे पेट कोई नहिं सुतता, ऐसी है ई कासी ।। हैं । काशी परसाद अपना कोठीवाली ही में लिखते हैं परदेसियौ बहुत रहे आए? सहजादे साहब तीन घंटे में इक सतर लिखते हैं उसमें दू.- परदेसियौ बहुत रहे आए ? भी सैकड़ों गलती । लक्ष्मीसिंह और शिवसिंह अच्छा ग-और साल से बढ़कर । काम करते हैं और अच्छा प्रयागलाल भी करते हैं, पर म-पितर सौंदनी रही न अमसिया, वह पुलिस के शत्रु हैं। और विष्णुदास बड़े भू-रंग है पुराने झंझर । conning chap हैं । दीवानराम हई नहीं, बाकी रहे खूब बचा बचा ताड़यो कहना, फिजिशियन सो वे तो अंगरेज ही हैं, पर भाई कई मुखों | तूं ही चूतिया हंटर । को बड़ा अभिमान हो गया है, बात बात में तपाक भ-हम न तडवे तो के तडिये ? यही तो किया दिखाते और छ महीने को भेज दंगा कहते हैं । जनम भर ।। बा.-मैं कनम चाप नहीं समझा । द.- जो हो, अब की भली हुई यह अमावसी रा. कनिंग चैप माने कुटीचर ! पुनवासी। (नेपथ्य में) ग. भूखे पेट कोई नहिं सुतता, ऐसी है ई श्री गोविंदराय जी की श्री मंगला खुली (सब दौड़ते हैं | कासी. 1 १. 'आनरेरी मजिस्ट्रेट का पद और अधिकार दिया है, उनका नाम यों है -कुंवर शंभूनारायण सिंह, बा. ऐश्वर्यनारायण सिंह, बा. गुरुदास मित्र, बा. हरिश्चंद्र, राय नारायणदास, बा. विश्वेश्वर दास, डा. लाजरस, मुं. बेणीलाल और दीवान कृष्ण कुँअर ।' (कवि-वचन-सुधा भाद्रपद शु. १५ सं. १९२३) MER भारतेन्दु समग्र ४१०