पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/३११

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अब चलने की करो तयारी सिर पर आई घाम । सदा इक आह की आती है जब गुंचे२३ चटकते है। कमर कसो औ बस्त्र सम्हारो कर में राखो दाम । रिहा करता नहीं सैयाद हम को मौसिमे गुल में । हरीचंद' पहिले से चेतो तब पैहो आराम ।६५ कफस२५ में दम जो घबराता है सर दे दे पटकते हैं। होली डफ की उड़ा दूँगा 'रसा' मैं धज्जियाँ दामाने२५ सहरा२६ की । अबस२७ खारे बियाबाँ मेरे दामन से अटकते हैं ।२ तेरी अगिया में चोर बसैं गोरी । गजब है सुरम : देकर आज वह बाहर निकलते हैं। इन चोरन मेरो सरबस लूट्यौ मन लीनो जोरा-जोरी । अभी से कुछ दिले मुज्तर पर अपने तीर चलते हैं। छोडि देई कि बंद चोलिया पकरै चोर हम अपनोरी । जरा देखो तो ऐ अहले सखुन२९ जोरे सनाअत को । 'हरीचंद' इन दोउन मेरी नाहक कीनी चित चोरी ।६६ नई बंदिश है मजमू नूर के सांचे में ढलते हैं। देखो बहियाँ मुरक मोरी ऐसी करी बर-जोरी । बुरा हो इश्क का यह हाल है अब तेरो फुर्कत३१ में । औचक आय दौरी पछे ते लोक की लाज सब छोरी । कि चश्मे खू चकार से लख्ने३३ दिल पैहम३४ निकलते है| छीन झपट चटपट मोरी गागर मलि दीनी मुख रोरी । हिला देंगे अभी ऐ संगे दिल तेरे कलेजे को । नहिं मानत कछु बात हमारी कंचुकि को बंद छोरी । हमारी आहे आतिश-बार ३५ से पत्थर पिघलते हैं। एई रस सदो रसिक रहिओ 'हरीचंद' यह जोरी 1६७ तेरा उभरा हुआ सीना जो हम को याद आता है । तो ऐ रश्के परी पहरों कफे३६ अफसोस मलते हैं। ग़ज़ल किसी पहलु नहीं चैन आता है उश्शाक को तेरे । फिर आई फस्ले गुल फिर जख्मदह रह रह के पकते है, तड़फते हैं फुगां करते हैं औ करवट बदलते हैं। मेर दागे जिगर पर सूरते लाला लहकते हैं। 'रसा' हाजत नहीं कुछ रौशनी की कुजे मर्कद३७ में । नसीहत है अबसई नासेह बयाँ नाहक ही बकते हैं। बजाये शमा३० याँ दागे जिगर हर वक्त जलते है ।३ जो बहके दुख्नेरज से हैं वह कब इनसे बहकते हैं ? अजब जोबन है गुल पर आमदे फस्ले बहारी है । कोई जाकर कहो यह आखिरी पैगाम उस बुत से 1 शिताब आ साकिया गुलरू३९ कि तेरी यादगारी है। अरे आ जा अभी दम तन में बाकी है सिसकते हैं। रिहा करता है सैयादे सितमगर मौसिमे गुल में न बोसा लेने देते हैं न लगते हैं गले मेरे असीराने४० कफस लो तुमसे अब रुखसत हमारी है 1 अभी कम-उम्र है हर बात पर मुझ से झिझकते हैं। किसी पहलू नहीं आराम आता तेरे आशिक को । व गैरों को अदा से कत्ल जब बेबाक १० करते हैं। दिले सुजतर तड़पता है निहायत बेकरारी है। तो उसकी तेग को हम आह किस हैरत११ से तकते हैं सफाई देखते ही दिल फड़क जाता है बिस्मिल का। उड़ा लाये हो यह तर्जे सखुन१२ किस से बताओ तो । अरे जल्लाद तेरे तेग की क्या आबदारी है। दमे तकदीर १३ गोया बाग़ में बुलबुल चहकते है । दिला४१ अब तो फिराके यार में यह हाल है अपना । 'रसा' की है तलाशे यार में यह दश्त-पैमाई१४ । कि सर जानू पर है और खून दह आँखों से जारी है। कि मिस्ले शीशा मेरे पाँव के छाले झलकते हैं । इलाही खैर कीजो कुछ अभी से दिल धड़कता है। खयाले नावके १५ मिजगा१६ में बस हम सर पटकते हैं सुना है मंजिले औवल की पहली रात भारी है। हमारे दिल में मुदत से ये खारे१७ गम खटकते हैं । 'रसा' महवे४२ फसाहत ३ दोस्त क्या दुश्मन भी है सारे । रूखे रोशन पे उसके गेसुए१८ शबगू१९ लटकते हैं । ज़माने में तेरे तर्ने सखुन की यादगारी है।४ कयामत२० है मुसाफिर रास्त : दिन को भटकते हैं । आ गई सर पर कजा लो सारा सामाँ रह गया। फुगा२१ करती है बुलबुल याद में गर गुल के ऐ गुलची२२ १. मृतु, २. फूल, ३. घाव, ४. हृदय, ५. एक पुष्प, ६. व्यर्थ,७. उपदेशक, ८. मदिरा, ९. संदेश, १०. निडरता से, ११. आश्चर्य, १२. कहने की शैली, १३. बोलना, १४. जंगल में भटकना, १५. छोटा वाण, १६. पलक, १७. काँटा, १८. बाल, १९. काली, २०. प्रलय, २१. आह, २२. पुष्प चुननेवाला, २३. कलियाँ, २४. पिंजड़ा, २५. अंचल, २६. जंगल, २७. व्यर्थ, २८. घबड़ाया गया, २९. कविगण, ३०. व्यंजना, ३१. विरह, ३२. टपकनेवाले, ३३. टुकड़ा, ३४. सदा, ३५. अग्निवर्षक, ३६. हथेली, ३७. कन, ३८. दीपक, ३९. पुष्पमुखी, ४०. कैदियों, ४१. हे हृदय, ४२. मुग्ध, ४३. अच्छी व्यंजनाशक्ति. 1 1 स्फुट कविताएँ २६९