पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११२९

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मध्व मत के ग्रंथ मात्र ही श्रीधर के विरुद्ध है। इसका क्या उत्तर है? वैष्णवदीक्षा आपने कब और किससे लिया था? दासानुदास हरिश्चंद्र मैं इन दिनों महाप्रमुजी के चरित्र का नाटक लिखता हूँ उसी के हेतु इन बातों के जानने की जल्दी है ! हरिश्चंद्र (१९) अनेक कोटि साष्टांग दण्डवत प्रणामानांतर निवेदयति- बच्चा और उसकी माँ ब्रजयात्रा करने जाती हैं और जो चित्र हो सो बच्चा को दीजिएगा। दासानुदास हरिश्चन्द्र (२०) शतकोटि दण्डवत प्रणामानन्तर निवेदयति - काशिराज ने आपसे यह प्रश्न किया है कि श्री राधारमण, श्री राधावल्लभ आदि विग्रहों के साथ श्री राधिका जी की मूर्ति क्यों नहीं है ? श्री मद्भागवत में उनका वर्णन कहाँ है? विशेष कृपा, कष्ट क्षमा । चिरबाधित हरिश्चन्द्र भारतेन्दु जी की एक रखैल थी माधवी। माधवी उसका असली नाम नहीं था। वह किन्हीं किशन सिंह की पुत्री थी। कहते हैं जब हरिश्चन्द्र से इसका सम्पर्क हुआ तब यह मुसलमान वेश्या थी और इसका नाम था आलीजान । हरिश्चन्द्र ने इसकी शुद्धि की और उसका नाम रखा, माधवी। इसी माधवी के संबंध में भारतेन्दु ने यह पत्र बद्रीनारायण चौधरी प्रेमधन को लिखा है। सं. श्री बद्रीनारायण जी उपाध्याय 'प्रेमघन' को प्रिय, लेना चाहता एक बड़ी गुप्त बात है, इसमें बड़ी सावधानी से सहायता दीजिएगा, गोवर्धनदास रोड़ा उर्फ खरदूखनदास से इन दिनों माधवी से बिगाड़ हो गया । वह चित्त का ऐसा कुनही है कि उस बिगाड़ का बदला है कि माधवी की एक किता हुंडी २३००) रु. की जो वास्तव में माधवी के रुपये की है मगर उसके नाम की है उसको हजम किया चाहता है । अभी पूरी हजम नहीं किया इरादा है । इसी इरादे से यह हुडी हमसे लेकर विध्याचल चला गया । एक मकान माधवी के वास्ते लिया जाता है । उसका बयाना देने १००) रुपया हमने उससे मांगा हुंडी उसको दे दिया कि १००) आज दे बाकी रजिस्टरी के दिन दे । आज रजिस्टरी होने वाली थी । आज रु. भेजते हैं यह कहके भी विध्याचल चला गया । हम स्टेशन पर गए मुलाकात हुई । एक पुरजा गहू मित्र के नाम लिख दिया और कहा कि हम कह आए हैं गड्ढ मिश्र रूपया दे देंगे । गट्टु मिन्न कहते हैं कि हम कुछ पत्र साहित्य १०८५