पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१००६

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और सदा नर्क में रहेंगे। हे इसराईल (ईश्वरायिल) की संतान हमारे अनुग्रहों को स्मरण करो जो हमने तुम्हारे ऊपर किए और तुम अपने वचनों को पूरा करो तो मैं भी अपने वचनों को पूरा करूंगा और केवल मेरा ही भय रखो । और मानो जो कुछ हमने तुम्हारे हेतु उतारा क्योंकि सच माननेवाला तुम्हारे पास है और मेरी आज्ञाओं को बहुमूल्य समझो और मुझसे भय करो । सत्य में असत्य मत मिलाओ और सब को जान बूझकर मत छिपाओ और वंदना करो (नमाज खड़ी करो) और दान (जकात) दो और वंदना में झुकनेवालों के साथ झुको । लोगों को सन्मार्ग पर चलने का उपदेश करते हो पर तुम आप वैसा आचरण नहीं करते । धर्म पुस्तकों को पढ़ते हो पर समझते नहीं । धैर्य से प्रार्थना करो और निश्चय रखकर वंदना करो यद्यपि यह कठिन है परंतु दीन भक्तों को सदा लभ्य है क्योंकि उनको अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर से मिलने और अंत में उसके पास जाने का निश्चय है । हे इसराईल की संतान हमारे उन अनुग्रहों को जो हमने तुम पर किए हैं स्मरण रखो । हमने तुमको संसार के जीवमात्र से श्रेष्ठ किया है । और उस दिन का भय रखो जिस दिन कोई किसी के कुछ भी काम नहीं आता और न किसी की सिफारश सुनी जाती है न कोई कुछ बदला देकर बच सकता है और न किसी की कोई सहायता कर सकता है । उसको स्मरण करो जो हमने तुमको फरऊन के गणों से बचाया जो तुमको बड़ा दुःख देते और तुम्हारे संतान का बध करते तथा तुम्हारी स्त्रियों को (दासी बनाने को) जीती रखते । ईश्वर ने इस कार्य में तुम्हारी बड़ी सहायता की है । तुम देखते थे कि (नील) नदी को दो भाग करके हमने तुम्हें बचा लिया और फरऊन के गण को डुबा कर नाश कर दिया । मूसा से हमने चालीस रात्रि में सब आपत्तियों से छुड़ाने का प्रण किया था पर फिर तुम सब मुझसे फिर गए और बछड़े की पूजा की अतएव तुम बहिर्मुख हो । तब भी हमने तुमको क्षमा किया कि तुम अब भी हमारे गुण मानों और हसी हेतु मूसा को हमने धर्म पुस्तक और उपदेश दिए कि तुम उनके द्वारा सत्यमार्ग पहिचानो । और जब मूसा ने अपनी जाति से कहा कि तुम लोगों ने इस बछड़े की पूजा करके अपनी बड़ी हानि किया इससे अब तुम इसकी घृणा करो और इसके प्रायश्चित्त में अपने जीव की बलि दो क्योंकि इसी में तुम्हारे परमेश्वर की प्रसन्नता है । यो उसने तुम्हारी ओर फिर दृष्टि फेरी क्योंकि वह क्षमावान और दयावान है परंतु तुमने फिर यही कहा ए मूसा जब तक हम लोग परमेश्वर को अपने सामने न देखेंगे कभी विश्वास न करेंगे । इस बात पर तुम्हारे सामने बिजली ने फिर तुमको घात किया परंतु हमने मरने पीछे फिर तुमको इस वास्ते जिलाया कि तुम अब भी विश्वास लाओ । और हमने दिन भर तुम पर मेघ की छाया की और मन' और सलवी उतार कर कहा कि उत्तम वस्तुओं को मैंने तुम्हें दिया तुम इन्हें खाओ । तुमने मुझसे विमुख होकर अपनी ही हानि की कुछ मेरी हानि नहीं की है । फिर मैंने तुमसे कहा कि इस नगर में बसो और यथा सुख निर्भय हन उत्तम खाद्य वस्तुओं को खाते फिरो और मेरा धन्यवाद करके द्वार में प्रवेश करो और कहो कि हमैं क्षमा कर तो मैं तुम्हारे अपराधों को क्षमा करूं । विशेष कर मैं उनकी क्षमा करूँगा जो विश्वासी हैं । परंतु दुष्टात्मा लोगों ने फिर मुझसे मुख फेर लिया इस हेतु मैंने आकाश से फिर उन अन्यायियों पर क्रोध उतारा । फिर जब मूसा ने अपने शिष्यों के हेतु पानी माँगा मैंने कहा तुम अपनी छड़ी पत्थर पर मारो । फिर उससे बारह सोते बह निकले और सब ने अपनी अपनी जीविका पहिचान ली। फिर मैंने आज्ञा दी कि ईश्वरदत्त जीविका से निर्वाह करो और देश में उपद्रव उठाते मत फिरो । फिर तुमने कहा कि ए मूसा हम एक प्रकार के भोजन पर संतोष न करेंगे इससे तू पुकार अपने ईश्वर को कि हमारे हेतु पृथ्वी से साग, लकड़ी, गेहूँ, मसूर और प्याज उत्पन्न करे । उसने कहा तुम एक उत्तम वस्तु के बदले बुरी वस्तु चाहते हो। १. मन एक मीठा दाना धनिया का सा था जो ईश्वर ने जीवों पर क्षमा करके बरसाया था। २. सलवी बटेर की सी एक चिड़िया थी जिन्हें परमेश्वर ने उनके लिए भेजा था। Ket भारतेन्दु समग्र ९६२