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अंधेर-नगरी

मुगल––बादाम पिस्ते अखरोट अनार बिहीदाना मुनक्का किश मिश अंजीर श्राबजोश पालूबोखारा चिलगोजा सेब नाशपाती बिही सरदा अंगूर का पिटारी। प्रामारा ऐसा मुल्क जिसमें अँगरेज का भी दॉत कट्टा औ गया। नाहक को रुपया खराब किया बेवकूफ बना*‌।हिंदोस्तान का आदमी लक-लक हमारे यहाँ का आदमी बुंबक बुंबक। लो सब मेवा टके सेर।

पाचकवाला––

चूरन अलमबेद का भारी। जिसको खाते कृष्ण मुरारी॥
मेरा पाचक है पचलोना। जिसको खाता श्याम सलोना॥
चूरन बना मसालेदार। जिसमें खट्टे की बहार॥
मेरा चूरन जो कोइ खाय। मुझको छोड़ कहीं नहिं जाय॥
हिंदू चूरन इसका नाम। बिलायत पूरन इसका काम॥
चूरन जब से हिंद में पाया। इसका धन बल सभी घटाया॥
चूरन ऐसा हट्टा-कट्टा। कीना दॉत सभी का खट्टा॥
चूरन चला डाल की मंडी। इसको खाएँगी सब रंडी॥
चूरन अमले सब जो खावै। दूनी रिशवत तुरत पचावै॥
चूरन नाटकवाले खाते। इसकी नकल पचाकर लाते॥
चूरन सभी महाजन खाते। जिससे जमा हजम कर जाते॥
चूरन खाते लाला लोग । जिनको अकिल अजीरन रोग॥

[१]


  1. *चंद्रप्रभा प्रेस की प्रति में नहीं है।