पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६४४

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अंधेर-नगरी

चौपट राजा

टके सेर भाजी टके सेर खाजा


पहला अंक

स्थान––बाह्य प्रांत
(महंतजी दो चेलों के साथ गाते हुए आते हैं)

सब––राम भजो राम भजो राम भजो भाई।

राम के भजे से गनिका तर गई,
राम के भजे से गीध गति पाई।
राम के नाम से काम बनै सब,
राम के भजन बिनु सबहि नसाई।
राम के नाम से दोनों नयन बिनु,
सूरदास भए कविकुल-राई॥
राम के नाम से घास जंगल की,
तुलसीदास भए भजि रघुराई॥