पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६४१

यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५४२
भारतेंदु-नाटकावली

(गायिका अमीर के अति निकट बैठती है)

अमीर––लो जान साहब!

(पियाला उठाकर अमीर जिस समय गायिका के पास ले जाता है उसी समय गायिका बनी हुई नीलदेवी चोली से कटार निकालकर अमीर को मारती है और चारों समाजी बाजा फेंककर शस्त्र निकालकर मुसाहिब आदि को मारते हैं।)

नीलदेवी––ले चांडाल पापी! मुझको जान साहब कहने का फल ले, महाराज के वध का बदला ले। मेरी यही इच्छा थी कि मैं इस चांडाल का अपने हाथ से वध करूँ। इसी हेतु मैंने कुमार को लड़ने से रोका, सो इच्छा पूर्ण हुई। (और आघात) अब मैं सुखपूर्वक सती हूँगी।

अमीर––(मृतावस्था में) दगा––वल्लाह चंडिका––

(रानी नीलदेवी ताली बजाती है। तंबू फाड़कर शस्त्र खींचे हुए कुमार सोमदेव राजपूतों के साथ आते हैं। मुसलमानों को मारते और बाँधते हैं। क्षत्री लोग भारतवर्ष की जय; आर्यकुल की जय; क्षत्रियवंश की जय; महाराज सूर्यदेव की जय; महारानी नीलदेवी की जय; कुमार सोमदेव की जय; इत्यादि शब्द करते हैं)

(पटाक्षेप)
–– • ––