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भारतेंदु-नाटकावली

(मियाँ के पास जाकर)

तुरुक तुरुक तुरुक––घुरुक घुरुक घुरुक––मुरुक मुरुक मुरुक––फुरुक फुरुक फुरुक––याम शाम लीम लाम ढाम––

(मियाँ को पकड़ने दौड़ता है)

मियाँ––(आप ही आप) यह तो बड़ी हत्या लगी। इससे कैसे पिंड छुटेगा। (प्रगट) दूर दूर।

पागल––दूर दूर दूर––चूर चूर चूर––मियाँ की डाढ़ी में दोजख की हूर––दन तड़ाक छू मियाँ की माईं में मोयीं की मूँ––मार मार मार––मियाँ छार खार––

(मियाँ के पास जाकर अट्टहास करके)

रावण का साला दुर्योधन का भाई अमरूत के पेड़ की पसेरी बनाता है––अच्छा अच्छा––नहीं नहीं तैने तो हमको उस दिन मारा था न! हाँ हाँ यही है यही––जाने न पावे। मार मार––

(मियाँ की गरदन पकड़कर पटक देता है और छाती पर चढ़ कर बैठता है)

रावण का साला दिल्ली का नवाब वेद की किताब––बोल हम राजा कि तू राजा––(मियाँ की डाढ़ी पकड़कर खींचने से कृत्रिम डाढ़ी निकल आती है। विष्णुशर्मा को पहिचानकर अलग हो जाता है) रावण का साला मियाँ का भेस विष्णु के कान में सरमा का केस। मेरी शक्ति