दरबार में वह तेगे शररबार न चमके। घरबार से बाहर से भी हर बार खबरदार॥ इस दुश्मने ईमाँ को है धोखे से फँसाना। लड़ना न मुकाबिल कभी जिनहार खबरदार॥
[सब जाते हैं