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(मंगलाचरण)
कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार॥
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पहिला अंक
स्थान--बीथी
(एक योगी गाता है)
(लावनी)
हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई॥ ध्रुव॥
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो।
सबके पहिले जेहि सभ्य बिधाता कीनो॥
सबके पहिले जो रूप-रंग रस-भीनो।
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो॥
अब सबके पीछे सोई परत लखाई।