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मुद्राराक्षस

अजातशत्रु की दुश्मनी बौद्ध मत से धीरे-धीरे बहुत कम हो गई। शक्यमुनि गौतम बुद्ध फिर मगध में गया। पटना उस समय एक गाँव था, वहाँ हरकारों की चौकी में ठहरा। वहाँ से विशाली * में गया। विशाली की रानी एक वेश्या थी। वहाँ से पावा गया, वहाँ से कुशीनार गया। बौद्धों के लिखने बमूजिब उसी जगह सन् ईसवी ५४३ बरस पहले ८० बरस की उमर में साल के वृक्ष के नीचे बाईं करवट लेटे हुए इसका निर्वाण हुआ। काश्यप उसका जानशीन हुआ। अजातशत्रु के पीछे तीन राजा अपने बाप को मारकर मगध की गद्दी पर बैठे, यहाँ तक कि प्रजा ने घबराकर विशाला की


  • जैनी महावीर के समय विशाली अथवा विशाला का राजा चेटक बतलाते हैं। यह जगह पटने के उत्तर तिरहुत में है; उजड़ गई है।

वहाँ वाले अब उसे बसहर पुकारते हैं।

जैनी यहाँ महावीर का निर्वाण बतलाते हैं, पर जिस जगह को अब पावापुर मानते हैं असल में वह नहीं है; पावा विशाली से पश्चिम और गंगा से उत्तर होने चाहिए।

जैन अपने चौबीसवें अर्थात् सबसे पिछले तीर्थकर महावीर का निर्वाण विक्रम के संवत् से ४७०, अर्थात् सन् ईसवी से ५२७ बरस पहले बतलाते हैं और महावीर के निर्वाण से २५० बरस पहले अपने तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ का निर्वाण मानते हैं।


  • कैसे प्राश्चर्य की बात है, चेटक रंडी के भड़वे को भी कहते हैं।( हरिश्चंद्र )