पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/५४६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४४१
मुद्राराक्षस

ने मगधराज संस्थापन किया। इसका समय ५५० ई० पू० बतलाते हैं और चंद्रगुप्त को इससे तेरहवाँ राजा मानते हैं। यूनानी लोगो ने सेान का नाम Erannobaos ( इरन्नोबाओस ) लिखा है, यह शब्द हिरण्यवाह का अपभ्रंश है। हिरण्यवाह, स्वर्णनद और शोण का अपभ्रंश सोन है। मेगास्थनीज अपने लेख में पटने के नगर को ८० स्टेडिया ( आठ मील ) लंबा और १५ चौड़ा लिखता है, जिससे स्पष्ट होता है कि पटना पूर्वकाल ही से लंबा नगर है*| उसने उस समय नगर के चारो ओर ३० फुट गहरी खाई, फिर ऊँची दीवार और उसमें ५७० बुर्ज और ६४ फाटक लिखे हैं। यूनानी लोग जो इस देश को ( Prassi ) प्रास्सि कहते हैं वह


  • जिस पटने का वर्णन उस काल के यूनानियों ने उस समय इस

धूम से किया है उपकी वर्तमान स्थिति यह है। पटने का जिला २४ ५८ से ५ ४२ लैटि० और ८४ ४४ से २६ ०५ लौंगि० पृथ्वी २१०१ मील समचतुष्कोण १५५९६३८ मनुष्य-सख्या। पटने की सीमा उत्तर गंगा, पश्चिम सोन, पूर्व मुंँगेर का जिला और दक्षिण गया का जिला। नगर की बस्ती अब सवा तीन लाख मनुष्य और बावन हजार घर हैं। साढ़े आठ लाख मन के लगभग बाहर से प्रति वर्ष यहाँ माल आता और पाँच लाख मन के लगभग जाता है। हिदुओं में छः जातियाँ यहाँ विशेष हैं। यथा एक लाख अस्सी हजार ग्वाला, एक लाख सत्तर हजार कुनबी, एक लाख सत्रह हजार भुइँहार, पचासी हजार चमार, अस्सी हजार कोइरी और आठ हजार राजपूत। अब दो लाख के आसपास मुसलमान पटने के जिले में बसते हैं।