प्रतिहारी---इधर आवें, महाराज, इधर आवें।
चंद्र०---( उठकर चलता हुआ आप ही आप )
गुरु आयसु छल सों कलह करिहू जीय डराय। किमि नर गुरुजन सों लरहिं, यहै सोच जिय हाय॥
( सब जाते हैं---जवनिका गिरती है )