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तीसरा गर्भांक
स्थान---मुगलसराय का स्टेशन
( मिठाईवाले, खिलौनेवाले, कुली और चपरासी इधर-उधर फिरते हैं। सुधाकर, एक विदेशी पंडित और दलाल बैठे हैं )
दलाल---( बैठके पान लगाता है ) या दाता राम! कोई भागवान से भेट कराना।
विदेशी पंडित---( सुधाकर से ) आप कौन हैं? कहाँ से आते हैं?
सुधाकर---मैं ब्राह्मण हूँ, काशी में रहता हूँ और लाहोर से आता हूँ।
वि० पंडित---क्या आप का घर काशीजी ही में है?
सुधा०---जी हाँ।
वि० पंडित---भला काशी कैसा नगर है?
सुधा०---वाह! आप काशी का वृत्तांत अब तक नहीं जानते? भला त्रैलोक्य में और दूसरा ऐसा कौन नगर है जिसको काशी की समता दी जाय?
वि० पंडित---भला कुछ वहाँ की शोभा हम भी सुने।
सुधा०---सुनिए, काशी का नामांतर वाराणसी है, जहाँ भगवती जह्यु-नंदिनी उत्तरवाहिनी होकर धनुषाकार तीन