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भारतेंदु-नाटकावली

इन उपाख्यानों के जानने से इस नाटक के पढ़नेवालो को बड़ी सहायता मिलेगी। इस भारतवर्ष में उत्पन्न और इन्हीं हम लोगो के पूर्व पुरुष महाराज हरिश्चंद्र भी थे। यह समझकर इस नाटक के पढ़नेवाले कुछ भी अपना चरित्र सुधारेंगे तो कवि का परिश्रम सुफल होगा।