सूचीपत्र. 90 (प्रय लिपि-लिपिपत्र ५२-५६ लिपिपत्र ५२ षां- पल्लववंशी राजाओं के समय के १० लबों और करम के दानपत्र से ५३ वां- पलवार पांड्यवंशी गजायी क समय क लाव ओर दानपत्रा म. ५४ वां- पल्लववंशी नन्दिवर्मन ( पल्लवमल्ल ) और गंगावंशी पृथ्वीपति ( दुसर ) के दानपत्रों में ५५ वां-कुलोत्तुंगचीड और विक्रमचीड के लखा तथा वाणवंशी विक्रमादित्य के दानपत्र से ५६ वां - पांड्यवंशा सुंदरपांड्य के लेख और यादव विरूपाक्ष तथा गिम्भूिपाल के दानपत्रो से " (कलिंग लिपि-लिपिपत्र ५७-५६). ५७ चां--कलिंग नगर के गंगावंशी गजाश्रा क तीन दानपत्रा से ५८ यां-कलिग नगर के गंगावंशी र जात्रा क दानपत्रा से ५६ वां-कलिंग नगर के गंगावंशो गजा वज्रहस्त के पाकिमेहि के दानपत्र म " "1 (तामिळ लिपि-लिपिपत्र ६०-६२). ६० यां-पल्लवयंशी गजात्रों क नीन दानपत्री के अंत के तामिळ अंशो मे ६१ वां-पल्लयतिलक दंतिवर्मन् श्रार राष्ट्रकृट कृष्णगज (तीसर) के लखों में ६२ वां- राजेंद्रचाल विरूपाक्ष अोर वालककामय के लखादि से (योन्तु लिपि-लिपिपत्र ६३-६४ ). ६३ वां- जटिलवर्मन और वरगुणपाय के लबादि से ६४ चां-श्रीवल्लवगार्ड भासररविवर्मन आर वीरगघव के दानपत्रों में (ग्वगष्टी लिप-निपिपत्र ६५-७०). ६५ वां- मौर्यवंशी गजा अशोक क शहबाज़गढ़ा और मान्मंग के लम्बा म ६६ वा - हिंदुस्तान के ग्रीक ( नानी ). शक. पार्मिअन् और कुशनवंशी गजाओं के मिको म ६७ वां मथुग तथा तशिला से मिल हुए लखों से ६८ या पार्थिन गजा गंडाफरम भार कुशनवंशी राजा कनिष्क के ममय के लेखों में ६६ वां-बडेय ( अफगानिस्तान म ), आग, पाजा श्रार कल्दग के लखा से ७० वां -तक्षशिला फतहजंग कनिहाग, पथियार श्रोर चारसड़ा के लेखों से (प्राचीन अकलिपिपत्र ७१-७६). ७१वां ब्राह्मी और उममें निकली हु लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (१ सतक । ७२ चां-ब्राह्मी और उमस निकला हुई लिपियों के प्राचीन शैली के अंक ( १ से और मतक ७३ वा ब्राह्मा और उमसे निकली हुई जिगियों के प्राचीन शैली के अंक ( १० से १० नक ७४ चां-वामी और उससे निकली हुई लापया के प्राचीन शली के अंक ( १०० से १०० तक । ७५ वां ब्राह्मी आर उराम निकली हुई लिपिा के प्राचीन शली के अंक (२००० से ७००५ नक । मिश्र- अंक और वाली में निकली हुई लिपियों के नवीन शली के अंक (१ से १ और । ७६ यां- ग्राह्मी से निकली हुई लिपियों के नवीन शैली के अंक (१ से प्रार), तथा खरोष्ठी लिपि के अंक ( वर्तमान लिपिया-लिपिपत्र ७७-८१) ७७ वां-वर्तमान शारदा ( कश्मार्ग), टाकरी पार गुरमुखी लिपियां ७८ वां- वतमान कैथी, बंगला और मधिल लिपियां. ७ यां-धर्तमान उड़िया, गुजगता अंर माडी ( मगठी) लिपियां ८० वां-वर्तमान तेलुगु, कनड़ी और ग्रंथ लिपियां ८१ वां - वर्तमान मलयाळम्, नुलु और तामिळ लिपियां. ( वर्तमान लिपियों की उत्पत्ति-८२-८४ ). ८२ धां-- वर्तमान नागरी और शारदा ( वशमारी ) लिपिया की उत्पत्ति. ८३ वां-वर्तमान बंगला भार कनड़ी लिपियों की उत्पत्ति ८४ वां-- वतमान ग्रंथ भार तामिळ लिपियां तथा नागरी अंकों की उत्पत्ति " १२
पृष्ठ:भारतीय प्राचीन लिपिमाला.djvu/२३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।