पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/८६

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७६ भारतवर्ष का इतिहास हुआ। बेण्टिङ्क ने सदा के लिये यह पाप काट दिया भारतवासी उनके बड़े कृतज्ञ है। उन्हों ने बड़े पुण्य का काम किया। १८३३ ई० के पहिले ईस्ट इण्डिया कम्पना भारतवासियों को• बड़ी तनखाहों के ओहदे न देती थो। उस साल यह कानून बन गया कि जितने ओहदे हैं सब भारतवासियों को मिल सकते हैं शर्त यह है कि वह सब तरह से उसके योग्य हो। पहिले योग्य भारतवासो नहीं मिलते थे पर कई बरस कम्पनी की सेवा में सतो रहते रहते उनकी संख्या बढ़ गई। यहां तक कि आज दिन सरकारी नौकरी में बहुत से ओहदे और जगहें भारतवासियों से भरी हैं। लाडं बेण्टिङ्क ने पहिले पहिल भारतवासियों के लिये सरकारी नौकरी का दरवाजा खोला था और तब से आज तक वह दरवाज़ा खुला है। बहुत ले भारतवासो डिप्टो कलेकृरी और मातहत जजो पर मुकरर कर दिये गये है। ८-अगरेजो सरकार की सेवा में इतने भारतवासी आगये