पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/८२

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७२ भारतवर्ष का इतिहास जड़ लार्ड वेलेजली ने जमाई थी और अगरेजों को भारत में सब से बढ़ कर शक्तिमान बना दिया। ७०-लार्ड अम्हट, आठवां गवर्नर जनरल (सन् १८२३ ई० से सन् १८२८ ई० तक) १- १८२३ ई० में ब्रह्मा के राजा ने आसाम का देश जो बङ्गाले की सीमा से मिला हुआ है ले लिया। १८२४ ई० में उसने अगरेजों पर चढ़ाई की और उनके कुछ सैनिक जो समुद्रतट के पास टापू को रक्षा के लिये नियुक्त थे मार डाले। गवर्नर जनरल ने इसका कारण पूछा तो ब्रह्मा के गजा ने उसका कुछ उत्तर न दिया और कछार देश जो बङ्गाले के अग्नि कोण में है उसमें एक सेना भेज दो। यह हार गई और एक अङ्गरेजी सेना जहाजों में बैठ कर समुद्र को राह से रंगून भेजी गई। रंगून जीत लिया गया । २--ब्रह्मा का राजा अगरेजों की शक्ति को न जानता था। उसने अपने सेनापति बन्दोला को एक बड़ी सेना देकर भेजा कि वह अङ्गरेजी सेनापति सर ए० कम्बल को देश से निकाल दे। बन्दोला अपने साथ सोने को बेड़ियां भी लाया था। उसका यह बिचार था कि गवर्नर जनरल को यहो बेड़ियां पहना कर अपनी राजधानी में ले जाय। पर अगरेज़ों ने उस सेना को बड़ो सुगमता से हरा दिया और बन्दोला उसी लड़ाई में मारा गया। अडरेज़ो सेनापति ने सारे आसाम और आराकान पर अपना अधिकार जमा लिया और इरावतो नदो को राह आवा पर चढ़ गया। जब वह आवा के पास पहुंचा तो ब्रह्मा के राजा ने घबड़ा कर आधीनता स्वीकार कर ली और १८२६ ई० में यनदबू की सन्धि हुई। ३-इस सन्धिपत्र के अनुसार ब्रह्मा के समुद्रतट का देश