पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/८१

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लार्ड हेस्टिङ्गस लड़ाई होने लगी दूसरे दिन बराबर लड़ाई होती रहो अन्त को अप्पा साहेब हार गया और राजपूताने में चला गया और वहां कई बरस पीछे मर गया। अङ्गरेजों ने राघोजी भोंसला के एक दूध पीते.पोते को राजगद्दी पर बैठा दिया। ३-जसवन्त राव होलकर भी मर चुका था। उसको रानी तुलसी बाई राज करती थी। जब उसने सुना कि बाजी राव अगरेज़ों से लड़ रहा है तो यह भी अपनी सेना लेकर वाजी राव की सहायता करने को दक्षिण की ओर चलो। उधर से सर जान मालकम की कमान में अङ्गरेजी सेना चली आती थी दोनों का सामना हो गया। सर जान मालकम ने चाहा कि तुलसी बाई सन्धि करले और समझ जाय कि बाजी राव को सहायता को जाना व्यर्थ है। तुलसी बाई आप सन्धि करने को तैयार थी पर उसको सेना के मरहटा अफसरों ने जो यह हाल सुना तो उनको बड़ा क्रोध हुआ और उन्हों ने तुलसी बाई को मार डाला। सन् १८१७ ई० में इन मरहठा सरदारों ने महीदपुर के स्थान पर अङ्गरेजी सेना पर चढ़ाई की। सर जान मालकम ने उनको परास्त कर दिया। ला. हेस्टिङ्गस ने जसवन्त राव होलकर के दूध पीते बेटे मल्हार राव को इन्दौर का राजा बनाया और उसके देश की रक्षा के निमित्त अगरेजी सेना स्थापित कर दी। ४-बसीन के सन्धिपत्र के अनुसार कुछ इलाका बाजो राव ने सन् १८०२ ई० में दिया था। कुछ देश पांचों मरहठा राजाओं ने उस सेना के खर्चे के बदले दिया था जो उनके राज्यों की रक्षा के लिये नियुक्त थो। इन सब को मिला कर सन् १८०८ ई० मे लाई हेस्टिङ्गस् ने बम्बई का हाता बना दिया। ५-सन् १८२३ ई० में लाई हेस्टिङ्गस् भारत के शासन से अलग हुआ। पांच बरस में उसने वह बड़ा काम पूरा कर दिया जिसकी