पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/५८

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४८ भारतवर्ष का इतिहास रईस होते हैं। इन लोगों के पास जो धरती है वह न मोल लो हुई है न जीतो हुई है। सरकार अंगरेज़ ने उन्हें संत दी है। १०-लार्ड कानेवालिस ने जिले जिले में मुकदमा फैसला करने के लिये एक जज ओर सरकारी मालगुजारो वसूल करने का एक कलकर मुकरर किया। लाडे क्लाइव ने दोनों काम एक ही अफसर को सौंपे थे पर पीछे यह जान पड़ा कि एक हो अफ़सर से दोनों काम अच्छी तरह से नहीं हो सकते। ६३--सर जान शोर, तीसरा गवर्नर जनरल (सन् १७६३ ई० से १७६८ तक) १-तीसरा गवर्नर जनरल सर जान शोर कलकत्ते के ईस्ट इण्डिया कम्पनो का सिविल अफ़सर था। यह पांच बरस तक गवर्नर जनरल रहा। इसके समय में कोई लड़ाई भिड़ाई नहीं हुई और न बृटिश इण्डिया के राज्यप्रबन्ध में कोई बड़ा अदल बदल हुआ। २---इङ्गलैण्डराज की ओर से कड़ी आज्ञा हो चुको थी कि गवनेर जनरल किसी देशो राजा बाबू के साथ किसी प्रकार की छेड़ छाड़ न करे। गवर्नमेंट अगरेजो का यह अभिप्राय था कि जो बड़े बड़े राज्य इस समय हैं वह ज्यों के त्यों.विना घट बढ़ बने रहें। न कोई अधिक बलो हो जाय न कोई निर्बल हो जिससे सब जगह शान्ति बनी रहे। ३---परन्तु निज़ाम, मरहठे और टीपू सुलतान इस शान्ति के बिरोधी थे। टोपू यह चाहता था कि मेरी जो शक्ति घट गई है उसको पूरी करके पहिले सा बली बन जाऊं। मरहठों की यह इच्छा थी कि टीपू, निज़ाम और देशी राजवाड़ों से चौथ