पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४७

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वारेन हेस्टिङ्गस् ५८--वारेन हेस्टिङ्गस्, पहिला गवर्नर जनरल ( १७७४ ई० से १७८५ ई० तक) १-हेटिङ्गस् के गवर्नर होने के दो बरस पीछे ईस्ट इण्डिया कम्पनो के प्रबन्ध में भी बहुत कुछ उलट पलट हो गया। इङ्गलैण्ड की गवरमेण्ट ने एक कानून बनाया जिसका नाम रेग्युलेटिङ्ग ऐक था। उसके अनुसार बङ्गाल का गवर्नर सारी बृटिश इण्डिया का गवर्नर जनरल हो गया और उसके मुकरर करने का काम कम्पनी के हाथ से निकाल कर इङ्गलैण्ड के प्रधान मन्त्री के हाथ में दिया गया। कलकत्ते में एक बड़ो अदालत स्थापित की गई। इसके जज अङ्गारेजी गवरमेण्ट मुकरर करके इङ्गलण्ड से भेजती थो। २---गवर्नर जनरल को मदद के लिये चार मेम्बरों की कौन्सिल स्थापित की गई। उसके मेम्बर अङ्रेजो गवरमेण्ट की तरफ से मुकरर होते थे। ३-अब तक ईष्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतवर्ष में नो चाहा सो किया। इङ्गलैण्ड राज ने कोई रोकटोक नहीं की ; इसलिये कि कम्पनी बिलकुल व्यापारी कम्पनो थी। यह अब कम्पनो राज करने लगी। भारत के बड़े बड़े देश उसके हाथ में आ गये। कम्पनी देशो राजाओं और नवाबों के साथ सन्धि और लड़ाई करने लगी थी इस लिये उचित समझा गया कि इङ्गलण्ड को गवरमेण्ट का कम्पनो के ऊपर अधिकार रहे। ४-गवर्नर जनरल और उसकी कौन्सिल मद्रास और बम्बई के गवर्नरों से कचे माने गये जिसमें वह बिना उसकी आज्ञा के सन्धि या लड़ाई न कर सकें। इसके पहिले हर गवर्नर स्वतन्त्र था और जो मन में आता था करता था और अपने ही