पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/४४

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३४ भारतवर्ष का इतिहास ५७–चारेन हेस्टिङ्गस् -क्लाइव के पोछे बंगाले का गवर्नर (सन् १७७२ ई० से १७७४ ई० तक) १-ऊपर कहा जा चुका है कि बंगाले में निजमउद्दीला का शासन अच्छा न था। इसलिये क्लाइव ने इसकी जगह मीरजाफ़र के एक बेटे को दी। उसके दो नायब थे, एक बंगाले में दूसरा विहार में। यह महसूल इत्यादि का रुपया इकट्ठा करके बंगाले के गवर्नर को दे देते थे और वह उनकी और उनके नौकरों की तनखाह देता था। अफ़ग़ानों और मरहठों से बचाने के लिये एक अंगरेजी सेना भी रहती थी। २-सात बरस, १७६५ ई० से १७७२ ई० तक यह दोहरा प्रबन्ध वारेन हेस्टिङ्गस रहा। आधा प्रवन्ध अंगरेजों और आधा प्रबन्ध हिन्दुस्थानियों के हाथ में था पर इससे कुछ भी काम न चला। हिन्दुस्थानियों का प्रबन्ध बड़ा बुरा था । के नौकरों को सदा यह डर लगा रहता था कि न जाने कब निकाल दिये जायं। इसो से वह दूसरों को धोखा देने और अपना घर भरने पर उतारू रहते थे। जज और मुंसिफ हर जगह घूस लेते थे। कोई सरकारी नौकर अपने वेतन पर सन्तोष न करता था। वह इस धुन में लगा रहता था कि प्रजा से नवाद