पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/३६

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1 २६ भारतवर्ष का इतिहास बनाया। उसने देखा कि मुग़लवंश बलहीन होकर अवनति कर रहा है और सारे हिन्दुस्थान को अफ़ग़ानिस्तान के आधीन करना और दिल्ली के सिंहासन पर बैठकर भारत का शासन करना जैसा कि मुगलों से पहले पठान बादशाह करते थे कुछ कठिन काम नहीं है २-जिस साल क्लाइव ने अरकाट के घेरा करनेवालों का सामना करके उनका मुंह फेरा था उसी साल १७५२ ई० में आहम्मद शाह ने पञ्जाब जीत लिया और महमूद ग़ज़नवी और महम्मद गोरो की भांति लूट मार करने हिन्दुस्थान में बढ़ा। अफ़ग़ानी सवार छः बार खैबर की घाटी होकर हिन्दुस्थान में आये और लूट मार करते, आग लगाने फिर ; जहां जाते हिन्दुओं के मन्दिर ढाते, मन्दिरों में गोवध करते और स्त्रो, पुरुष और बच्चों को पकड़ ले जाते थे। ३-मरहठों के तोसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने देखा कि अहमद शाह देश पर देश जीतता चला आ रहा है और अफ़ग़ानों के कारण अब उसे चौथ भी नहीं मिलतो । लिये उसने निश्चय किया कि ज़ोर मार कर अफ़ग़ानों को देश से निकाल दें। अहमद शाह तो थोड़े दिनों के लिये राजधानी काबुल चला गया था और पेशवा ने अपने भाई रघुनाथ राव उपनाम राघोबा को मरहठों की एक बड़ी पलटन देकर दिल्ली भेजा। राघोबा पश्चिम की तरफ बढ़ा और लाहौर को अपने बस में कर लिया। ४--महम्मद शाह इस समाचार के पाते हो अफगानों का दलबादल साथ लेकर लौट आया और जल्द ही राघोबा को हरा के दिल्ली पहुंचा। होलकर और सिन्धिया जो उसके सामने लड़ने को आये थे हार कर मालवे में अपने अपने देश को चले गये।