पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/२१०

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२०० भारतवर्ष का इतिहास ५--इन के सिवाय सब जज और मुन्सिफों की छोटी छोटो अदालतें भी हैं। (७) भारत के कर ( महसूल ) और उनके खर्च का ब्यौरा १–भारत में महसूलों और टैक्स से जो आमदनी होती है उसे सरकार यहां के रहनेवालों के लाभ के लिये ही खर्च कर देती है और उसे बटोर कर रखने का उद्योग नहीं करती। सरकार को उतने ही रुपये की आवश्यकता है जिससे शासन प्रबन्ध का खर्चा पूरा पड़ जाय। आमदनी कम हो या बहुत, सब उन अनगिनतो सुख चैन के रूप में जिनपर वह खर्च को जातो है देशवासियों को फिर मिल जाती है। जब कभी कुछ रुपया वन रहता है तो शिक्षा आदि उपयोगी कामों में दिया जाता है या कोई टैक्स उठा दिया जाता है। जैसे नमक पर पहिले २॥ मन टैक्स था पीछे घट कर २) रह गया। उसके बाद १) कर दिया गया, लेकिन अब फिर PA) कर दिया गया है। भारत गवर्नमेण्ट के महसूल क्या है ? कितने हैं कहां से और कैसे आते हैं ? २.-१६११ ई० में भारत के महसूलों से आमदनी एक अरब तेरह करोड़ से कुछ ऊपर थो। आमदनी के बड़े बड़े वसीले नीचे लिखे हैं। जमीन का लगान ३१ करोड़ रुपये रेल की आमदनी १८ करोड़ रुपये आबकारी अर्थात्, शराब, गांजा, चर्स आदि के टैक्स १० करोड़ रुपये कस्टम ड्यूटी यानी आनेवाले माल व जानेवाले माल का टैक्स १ करोड़ रुपये स्टाम्प को बिक्री ७ करोड़ रुपये a •