पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१९८

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भारतवर्ष का इतिहास कभी इसे कोई भारी या परम उपयोगी काम पड़ जाता है तो वह सेक्रेटरी आफ़ स्टेट के पास तार भेजकर उसको अनुमति ले लेता है। ४ -वाइसराय को गवर्नर जनरल भो कहते हैं। वाइसराय बहुधा बड़े ऊंचे घराने के अमोर होते हैं और नियमानुसार पांच बरस तक भारत का शासन करते हैं। वह राजराजेश्वर के प्रतिनिधि होते हैं और दरबार में सब राजा और नवाब उनको ऐसे हा नज़र देते हैं जैसे आपका राजराजेश्वर को। जैसे इङ्गलिस्तान में राजराजेश्वर अपराधियों को क्षमा करते हैं वैसे ही इन्हें भी यह अधिकार है कि उचित समझे तो किसी ऐसे अपराधी का अपराध क्षमा करदें जिसके लिये प्राणदंड की आज्ञा अदालत से हो चुको हो । ५-- वाइसराय की सहायता के लिये दो कौंसिलें होती हैं। इनमें से एक सात मेम्बरों की है जिनमें भारत को सेना के सेनापति ( कमांडर इन चीफ़) भो एक हैं। १९१२ ई० में इन मेम्बरों में एक भद्र भारतबासो भी था। इस कौंसिल का नाम इकज़िक्यूटिव कौंसिल (प्रबंधकारिणी सभा) है। इसका अधिवेशन छः महीने दिल्ली में जो अब फिर मुग़ल बादशाहों के राज्य की भाँति भारत को राजधानी है और ६ महोने मई से अक्तूबर तक शिमला पहाड़ पर होता है जहां की आबहवा ठंडो और स्वास्थ्यकारक है। इस कौंसिल का अधिवेशन हाते में कम से कम एक बार होना चाहिये। कौंसिल के हर मेम्बर के आधोन एक महकमा है जिसमें एक ही प्रकार का काम होता है। ऐसे कुल आठ महकमे हैं । (१) फारेन डिपार्टमेण्ट (महकमा विदेशीय) जिसका सम्बन्ध ब्रिटिश इण्डिया के बाहर रियासतों से है जैसे भारत को रक्षित देशीय रियासतें, अफगानिस्तान ओर हिन्दुस्थान के बाहर के देश ।