पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१९५

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ग्रेट ब्रिटेन के साम्राज्य में भारतवर्ष को उन्नति १८५ (११) शिक्षा १-ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में कोई सरकारी मदरसा नहीं पाया। १७८२ ई० में वारेन हेस्टिङ्गज़ ने मुसलमानों के लिये एक मदरसा खोला। दस बरस पीछे लार्ड कार्नवालिस ने हिन्दुओं के लिये बनारस में एक कालेज खोला। पीछे धीरे धोरे स्कूल और कालेज खुलते रहे। ग़दर के दूसरे साल १८५८ ई० में कलकत्ता, मदरास और वम्बई को युनिवर्सिटियां स्थापित हुई। २–इसो समय के लगभग शिक्षाविभाग का महकमा बना, और नये मदरसे खोलने और उनके बारे में रिपोर्ट करने के लिये इन्सपेकर नियुक्त हुए। जब १८५८ ई० में यहां का राज्य महारानो विकृोरिया के हाथ में गया तो भारत में कुल तेरह कालेज थे और स्कूलों में कोई ४० हजार विद्यार्थी पढ़ते थे। ३-पिछले पचास बरस में बहुत कुछ बढ़ती हुई है। लार्ड मेओ, लार्ड रिपन और लार्ड करज़न ने शिक्षा को ओर विशेष ध्यान दिया है। १९०६ ई० में १७२ कालेज थे जिन में पचीस हज़ार विद्यार्थों पढ़ते थे और एक लाख अरसठ हज़ार मदरसे थे जिनमें साठ लाख विद्यार्थी थे। इस बरस छः करोड़ सात लाख रुपये शिक्षा में हुए। मदरसे बहुत तरह के हैं जिनमें छोटे दरजे के प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें लिखना पढ़ना सिखाया जाता है और ऐसी बहुत सी बातें भी पढ़ाई जाती हैं जो जमींदारों के लिये लाभ- दायक हैं, जैसे हिसाव, कुछ भूगोल, थोड़ी पैमाइश गांव के कागज़ और मामूलो विषय । कुल विद्यार्थियों का प्राइमरी स्कूलों में है। ४-इन से ऊपर के दरजे के सेकण्डरी स्कूल हैं जिन में या तो अङ्ग्रेजी पढाई जाती है या निरी देशोभाषा। मिडिल स्कूलों में खचे