पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१९४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भारतवर्ष का इतिहास मेडिकल डिपार्टमेण्ट के सिवाय एक स्वास्थ्यरक्षा का विभाग भी है जिसके अफ़सर रोगों के दूर करने में तत्पर रहते हैं। बहुत से बड़े बड़े नगरों में स्वच्छ पानी पहुंचाया जाता है। पानी बड़े बड़े तालाबों जमा कर लेते हैं और स्वच्छ और शुद्ध करके नलों द्वारा घर घर पहुंचाते हैं। शहरों से मैले और गन्दे पानी बाहर निकाल देने का प्रवन्ध किया जाता है। बाजार साफ किये जाते हैं। बड़े बड़े शहरों में छिड़काव किया जाता है जिसमें धूल और गर्दा बैठ जाय और जितना कूड़ा शहरों में होता है उसे या तो जला देते हैं या खाद के काम में लाते हैं। ६-शीतला के रोकने के लिये टोका लगानेवाले सरकारी नौकर नियुक्त है। यूरोप में इस भयानक रोग से पहिले बहुत से आदमी मर जाते थे। पर अब कोई भी इस रोग से नहीं मरता। क्योंकि टीके से अब बड़ा लाभ हुआ है। वैसे ही भारतवर्ष में भी इस रोग से पहिले से अब कम मृत्यु होती है क्योंकि अब यहां भी बहुत लोग टीका लगवाते हैं। अगर हर एक मनुष्य टीका लगवाये तो शीतला से कोई भी न मरे । ७-एक और भयानक रोग ताऊन है। यह भारत में बहुत दिनों से है। १८६६ ई० में यह बीमारी बम्बई से फैल गई और बहुत से आदमी मर गये। बड़े श्रम से डाकृरों ने यह मालूम किया है कि यह वोमारी चूहों से आदमी तक मक्खियां पहुंचाती हैं। इस रोग के रोकने के लिये सब से पहले चूहे मरवा डाले जायें। जिस घर में ताऊन हो उसे जला देना चाहिये और अगर ऐसा न हो सके तो उसको दीवार और छतें ऐसे पानी से धोई जाय, जिसमें परमेगनेट आफ पोटास घुला हुआ हो। जिन लोगों में इसके फैलने का डर हो उनको लेग का टीका लगया देना चाहिये। यह सब काम स्वास्थ्यरक्षा विभाग के अफसर करते हैं।