पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१८

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भारतवर्ष का इतिहास उसका आदर करने के लिये उसे अपनी सेना में करनैल की पदवो दो और ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने एक तलवार जिसका दाम ५०० पौंड था और जिसको मूठ में हीरे जड़े हुए थे उसको भेंट दी। क्लाइव धनी और सुप्रसिद्ध हो गया और अंग- रेज़ उसे अरकाट का बोर कहने लगे। १६.- अब अंगरेज़ो और फ़रासीसी कम्पनियों ने यह हुकुम जारी किया कि इन दोनों के कर्मचारी आगे आपस में न लड़ें। डुपले फ्रांस में बुला लिया गया और दोनों कम्पनियों में मेल मेजर लारेन्स और महम्मद अली हो गया। V2 ४८-ब्लैकहोल कलकत्ता ( कलकत्ते की काल कोठरी-सन् १७५६ ई०) १-बङ्गाल के नवाब अलोबरदी खां को सन् १७५६ ई० में मृत्यु हुई और उसका पोता सिराजुद्दौला उसको गद्दो पर वह लगभग बीस बरस का युवक था और महलों के भीतर बहुत लाड़ प्यार से पाला गया था। बचपन में महलों के भीतर जो कुछ मांगता था वह उसे उसी समय दिया जाता था। यह जानता ही न था कि बाहर क्या हो रहा है। इसका बैठा।