पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१६५

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भारत की नई शासन पद्धति ५–अध्याय ८३ में बतलाया जा चुका है कि भारत मंत्रो मिस्टर मान्टेगू भारतवर्ष में आये और ६ मास तक यहां रहे उन्होंने वाइसराय लार्ड चेम्सकोर्ड को साथ लेकर भारत के अनेक भागों में भ्रमण किया सैकड़ों प्रसिद्ध भारतीय और अंगरेज़ों से मिले और उनकी प्रार्थनायें सुनों। ६-इसके पश्चात् उन्होंने भारत को नई शासनप्रणाली के बारे में रिपोर्ट लिखी--पार्लिमेन्ट ने बड़ी सावधानी से इस पर बिचार किया उस रिपोर्ट ने वहां से पास होकर और सम्राट द्वारा स्वीकृत होकर पालिमेन्ट तथा देश के एक कानून का रूप धारण किया और यह सन् १९१६ का भारत सरकार का ऐक कहलाया और यह सन् १६०६ ईस्वो के ऐक के ठीक १० वर्ष पोछे बना। ७-चूकि पार्लियामेन्ट ने यह घोषित कर दिया है कि जब भारतबासी शासन करने के योग्य हो जावें तो भारतवर्ष का शासन उन्हें सुपुर्द कर दिया जाय, इस हेतु इस कानून का यह उद्देश्य है कि भारतवासियों को इस महत कार्य के लिये इस प्रकार तय्यार किया जाय फि पहले उनको आठ बड़े सूत्रों के वास्तविक शासन एक भाग का अधिकार दिया जाय। उन सूत्रों के नाम, मदरास, बंगाल, बम्बई, संयुक्तप्रान्त, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, मध्यप्रदेश और आसाम हैं। चूकि यह सब सूबे गवरनर के आधीन होगे। इस हेतु ये गवरनर के सूबे कहलायेंगे जब यह ठोक ठीक सिद्ध हो जायगा कि भारतवासी सूबों का वास्तविक शासन भली भांति कर सकते हैं तब अधिक अधिक शासन का अधिकार उनको दिया जायगा और अन्त में वे सब अधिकार पा जायेंगे और सूबों का पूर्ण शासन भारतवासियों ही द्वारा होगा। ८–प्रत्येक बड़े सूबे में पहिले दो या अधिक भारतीय शासन के