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भारतवर्ष का इतिहास

फ़रासीसी लोग बिना रोक टोक भारत के व्यापार का लाभ उठायें। उसका विचार कुछ और भी था। वह केवल इतना ही नहीं चाहता था कि उसे भारत के व्यापार से लाभ हो, पर वह जी से यह चाहता था कि दक्षिणीय भारत को जीत कर उसमें राज करे।

डुपले

४—डुपले के पास ४००० हिन्दुस्थानी सैनिक थे। फ़रासीसी अफ़सरों ने उन्हें यूरोपवालों की तरह क़वायद और युद्ध करना सिखाया था। उसने तत्काल फ्रांस से सेना मंगवाई और उसके आते ही मद्रास पर चढ़ाई की और सन् १७४६ ई॰ में मद्रास ले लिया।

५—उसके पीछे फ़रासीसियों ने सेंट डेविड गढ़ को लेना चाहा; परन्तु इस बीच में अंगरेज़ों ने भी इंगलिस्तान से कुछ सेना मंगाली थी और उसकी सहायता से तीन बार फ़रासीसियों को परास्त किया। मेजर लारेन्स जो एक बीर अंगरेज़ी अफ़सर था कुछ सेना लेकर इंगलिस्तान से आया। अब अंगरेज़ों की बारी आई कि पांडीचरी को जीत लेने का उद्योग करें। परन्तु उनका उद्योग व्यर्थ हुआ।

६—सन् १७४८ ई॰ में यूरोप में अंगरेज़ों और फ़रासीसियों में सन्धि हो गई। इस कारण भारत में भी युद्ध बंद हो गया। मद्रास फिर अंगरेज़ों को मिल गया और आठ बरस अर्थात् सन् १७५६ ई॰ तक अंगरेज़ों और फ़रासीसियों में नाम मात्र मेल रहा।