१०८ भारतवर्ष का इतिहास अपनी प्राचीन रीति नीति प्राचीन डंगों तथा प्राचीन वस्तुओं को बड़ा प्यार करते हैं, जो कि उनके तथा उनके पुरुषाओं के समय से चली आ रही हैं। हम ने देखा है ( देखो अध्याय ७३ पैरा ३) कि सन् १८५७ ई० सिपाहियों के महा विद्रोह के अन्य कारणों में से एक कारण यह भी था कि लार्ड डलहौज़ी ने बहुत सी नई चीजें जैसी कि रेल, तार, डाक के समस्त टिकट, अंगरेजो शिक्षा के स्कूल तथा औषधालय एक दम जारी कर दिये थे, इसमें सन्देह नहीं कि यह सब चीज़ बड़ी अच्छो तथा हितकर हैं, और अब प्रत्येक भारतवासो इनके लाभ को जानता तथा मानता है, किन्तु फिर भी उस समय के लिये यह सर्वथा नवीन ही थों, अतः बहुत से भोले भाले भारतवासी उनसे भयभीत हा गये। ५-सुधार के विषय पर विचार करते तथा ऐसे नियम बनाते हुए, जो यद्यपि इंगलिस्तान में साधारण तथा प्रचलित हैं, किन्तु भारत में नितान्त नवोन हैं, सरकार को दो बातों पर दृष्टि रखनी पड़ती है। ६- उनमें से प्रथम बात तो यह है, कि भारत इंगलिस्तान से एक सवथा भिन्न देश है, और अंगरेज़ भारतवासियों से प्रत्येक बात में विभिन्नता रखते हैं। उनका इतिहास भिन्न है, उनके आचार विचार, रोति नीति भी किसी प्रकार एक नहीं कहो जा सकतों। भाषा, धर्म, भोजन तथा वस्त्रादि का तो कहना ही ? समस्त अंगरेज़ एक हो भाषा बोलते हैं। धर्म में वह सब ईसाई है। जाति उन सब को एक ही है, वरन् यदि यह कहा जाय तो अधिक सत्य होगा कि इंगलिस्तान में भारत के समान जाति पांति है हो नहीं। अतः यह सम्भव है, कि जो बात गलिस्तान के लिये अच्छी हो वह भारत के लिये अच्छो न हो। यह भी सम्भव है कि शासन की जो रीति या ढंग अंगरेजों के योग्य हो वही भारतवासियों के लिये भी उचित हो। फ्या
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