पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास 2.pdf/१००

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80 भारतवर्ष का इतिहास सिपाहियों को फिर घर से बुलाया जो दो तोन साल पहिले छुड़ा दिये गय थे ओर १८४६ ई० में अपने सेनापति के साथ बड़ी भारी सेना लेकर फिर अंगरेजों पर चढ़ दौड़े। ३ --सर ह्य गफ उनका सामना करने के लिये आगे बढ़ा। चिलयान- वाले पर घमसान लड़ाई हुई, अंगरेजों की जीत हुई, परन्तु हानि भी बड़ी भारा हुई। इसके थोड़े दिनों के पीछे गुजरात की लड़ाई हुई। ४-लार्ड डलहौज़ी ने इस लार्ड डलहौज़ी अभिप्राय से कि फिर झगड़ा बखेड़ा न हो और पठानों की लूट मार से भी बचा रहे, पंजाब को सन् १८४६ ई० में अंगरेजी राज्य में मिला लिया। दिलीप सिंह को एक बड़ो पेनशन कर दी और उसे इंगलैण्ड भेज दिया जहां वह अंगरेज़ अमीरों की तरह रहने लगा। मिस्टर जान लारेंस जो पीछे गवर्नर जनरल हो गये थे पंजाब सूबे के चीफ़ कमिश्नर बनाये गये। बहादुर सिख सिपाही अंगरेजी अफसरों की कमान में अंगरेजी सेना में भरतो होने लगे और अब सिख और गोरखे अंगरेजी सेना के बड़े स्तम्भ माने जाते हैं। पंजाब को धरती नापी गई, रणजीत सिंह के राज में पैदावार का आधा सरकार लेतो थो। अंगरेजों ने घटा कर सरकारी जमा चौथाई से भो कम कर दी। व्यापार के माल पर जो देश में कई जगह महसूल लिया जाता था, उठा दिया गया। डाकुओं और लुटेरों को दण्ड दिया गया और उनको जड़ खोद डाली गई। अंगरेज़ी