पृष्ठ:भारतवर्ष का इतिहास भाग 1.djvu/८७

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. भारतवर्षका इतिहास मत है कि वेदोंके अनेक अङ्ग भिन्न भिन्न समयमें रचे और लिखे गये हैं। तथापि यह माना जाता है कि आर्य सन्तानके साहित्य-भाण्डारमें ऋग्वेद सबसे अधिक प्राचीन पुस्तक है। वेद गिनती में चार हैं, अर्थात् ऋग्वेद, वेद चार हैं। रस्तुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद । ये प्राचीन मतको संस्कृतमें हैं जो कि आधुनिक संस्कृतसे बहुत भिन्न है। संस्कृत भाषामें परिवर्तन होते रहे हैं और इसलिये कुछ संस्कृत शब्दोंके अर्थ भिन्न भिन्न कालोंमें भिन्न भिन्न रहे। सब विद्वानोंका एक मत है, कि वर्तमान संस्कृत भाषा पढ़ लेनेसे वेदोंका ठीक अर्थ समझमें नहीं था सकता। हिन्दुओंकी यह प्रतिज्ञा है कि वैदिक संस्कृत सा शब्द सार्थक हैं। जिस । कालमें भारतमें वैदिक संस्कृत बोल-चालकी भापा थो उसको वैदिक काल और उस समयके प्रचलित धर्मको वैदिक-धर्म कहते हैं। वेद अधिकांश पद्य हैं और इनके पदोंको मंत्र कहते है। इन मन्त्रों के समूहको संहिता कहा जाता है। वैदिक साहित्य (क) ब्राह्मण-बड़े खेदकी यात है कि वेदों- का कोई प्राचीन भाष्य विद्यमान नहीं। लोगों- का विचार है कि वेभाष्य राजनीतिक परिवर्तनों में शायद लोप हो गये । इस अनुमानका कारण यह है कि संस्कृत पुस्तकोंमें कहीं कहीं ऐसी पुस्तकोंका उल्लेख है जो अब नहीं मिलती। फिर भी जिन पुस्तकोंको सहायतासे चेदके अर्थ किये जाते हैं 'उनका संक्षेपसे यहां वर्णन करते हैं । वेदोंके पश्चात् जो सबसे प्राचीन संस्कृत मन्य पाये जाते हैं उनको ब्राह्मण-अन्य कहते हैं। उनमें कुछ वेद-मंत्रोंका भाष्य भी किया गया है। प्रत्येक वेद-संहिताके पृथक् पृथक् प्राह्मण है। प्रसिद्ध ग्राहाण-प्रन्य ये हैं: <

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