४० को पूजते हैं। भारतवर्षका इतिहास सारी सभ्यताओंसे निराली है और अपने ढंगकी एक ही है। इस सभ्यताके मुख्य मुख्य अंग ये है:- (क) गऊ-माताकी पूजा (ख) ब्राह्मणोंका सत्कार और उनकी पूजा। (ग) वर्णव्यवस्था अर्थात् जाति-पांतिका भेद। (घ) बहुत थोड़े ऐसे हिन्दू हैं जो वेदोंको ईश्वरकृत पुस्तकें (श्रुति ) नहीं मानते। (ङ) हिन्दू संस्कृत भाषाको अपनी पवित्र भाषा समझते हैं। (च) बहुधा हिंदू विष्णु और शिव आदि बड़े बड़े देवताओं (छ) हिन्दुओंके तीर्थस्थान देशको उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, सभी दिशाओंमें फैले हुए हैं। उत्तरमें केदारनाथं और बद्रीनारायण, दक्षिणमें सेतुबंध रामेश्वर, पूर्वमें जगन्नाथजी और पश्चिममें द्वारिका-इन सय तीर्थोको हिन्दुओंकी बहुत बड़ी संख्या पवित्र मानती है। (ज) यहुधा हिन्दू-रीतियों में उनके पवित्र नगरोंका. वर्णन होता है। ये नगर भारतकी चारों दिशाओं में फैले हुए हैं। (झ) रामायण और महाभारत हिन्दुओंकी उन पूज्य पुस्त- फोमेंसे हैं जिनको सारे हिन्दू बड़े प्रेम और मानकी दृष्टिसे देखते हैं। इन पुस्तकोंके अनेक भाग हिन्दु जीवनके विशेष और सम्मानित अंग है। रामायणक नायक और महाभारतके नायक श्रीकृष्णजीको सभी हिन्दू पूजते हैं। भगवद्गीता महाभारतका एक भाग है और रामलीला लगभग सारे हिन्दू समाजमें मनाई जाती है। प्रत्येक भारतीय बालकका यह मोट 1-एक दगानी लिएक, गोपुन राधामद मुकरजौन इस विषयपर "Fundamental Unity of Hinduism" नामको एक अतीव रोचक पुस्तक लियो व पदने के योग्य है।
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